Dehradun News: सार्वजनिक निजी वाहनों की हड़ताल से जनता परेशान, दिनभर वाहन तलाशते रहे यात्री
Dehradun News आज मंगलवार को सार्वजनिक निजी वाहनों की हड़ताल के कारण जनता परेशान रही। दिन भर यात्री बसें आटो जीप ट्रेकर व टैक्सी तलाशते रहे। यात्रियों ने दूसरे विकल्प तलाशे जो उनकी जेब पर भी भारी पड़े।
जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य सरकार की आटोमेटेड फिटनेस स्टेशन की व्यवस्था के विरुद्ध मंगलवार को ट्रांसपोर्टरों का चक्का जाम यात्रियों और स्थानीय जनता पर भारी गुजरा। सार्वजनिक परिवहन सेवा में निजी बस, सिटी बस, जीप, ट्रेकर, टैक्सी और आटो के पहिये थमने से यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा। यात्रियों ने दूसरे विकल्प तलाशे, जो जेब पर भी भारी पड़े। हालांकि, विक्रम, ई-रिक्शा और स्कूल वैन संचालक चक्का जाम से अलग रहे। इससे स्थानीय मार्गों पर राहत रही। बावजूद इसके तमाम लोग निजी वाहन से या लिफ्ट मांगकर दफ्तर और स्कूल-कालेज पहुंचे। शहर में कुछ जगह ट्रांसपोर्टरों ने दोपहिया वाहनों पर घूमकर संचालित हो रहे विक्रमों व अन्य वाहनों को रोकने का प्रयास किया। इससे विवाद भी हुआ।
देहरादून से रोजाना 45 हजार के करीब यात्री जिले में या फिर दूसरे शहरों के लिए सफर करते हैं। सार्वजनिक परिवहन सेवा ठप होने से ये यात्री सुबह से शाम तक सड़कों पर परेशान भटकते रहे। आइएसबीटी से रोडवेज बसों का संचालन तो हो रहा था, पर सिटी बस और दून-विकासनगर रूट की निजी बसें नहीं चलने से यात्रियों को परेशानी हुई। ट्रक यूनियन के हड़ताल में शामिल होने से शहर में खाद्य सामग्री से लेकर हर तरह के सामान की आपूर्ति बाधित रही।
आंदोलन के दौरान ट्रांसपोर्टरों ने रेसकोर्स स्थित बन्नू स्कूल से विधानसभा के लिए पैदल कूच किया। हालांकि, पुलिस ने रिस्पना पुल के पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। इसको लेकर पुलिस और ट्रांसपोर्टरों के बीच नोंकझोंक भी हुई। प्रदर्शन और नारेबाजी कर ट्रांसपोर्टरों ने सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और निजी कंपनियों को दिया गया फिटनेस का कार्य वापस लेने की मांग की। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रेषित ज्ञापन एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार को सौंपा गया।
पहाड़ी मार्गों पर चरमराई व्यवस्था
देहरादून से पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली लगभग 2000 टैक्सी, मैक्सी, ट्रेकर व जीप के पहिये थमे रहने से समूचे पहाड़ की भी लाइफ लाइन थमी रही। प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर जीप व ट्रेकर को सार्वजनिक परिवहन की लाइफ लाइन माना जाता है। पर्वतीय मार्गों पर निजी व रोडवेज बसें भी चलती हैं, लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है और छोटे व संकरे मार्गों पर बसें नहीं जा पातीं।
ऐसे में दैनिक सफर के लिए जनता जीप और ट्रेकर का ही प्रयोग करती है। कुछ यात्रियों ने पर्वतीय मार्गों पर जाने वाले वाहनों का इंतजार किया तो कुछ ने ओवरलोड बसों में सफर किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्र में पर्वतीय टैक्सी स्टैंडों पर यात्रियों की भीड़ लगी रही, मगर वाहन नदारद रहे। रिस्पना पुल पर्वतीय टैक्सी स्टैंड पर ट्रांसपोर्टरों ने अपने वाहन खड़े कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।
यहां से होता है टैक्सी-मैक्सी का संचालन
देहरादून में रिस्पना पुल से, राजपुर रोड पर एमडीडीए पार्किंग, परेड ग्राउंड, प्रिंस चौक, दीन दयाल पार्क आदि से पर्वतीय मार्गों व पूरे गढ़वाल मंडल के लिए टैक्सी और मैक्सी कैब का संचालन होता है। इन सभी स्थानों पर दिनभर यात्रियों की भीड़ लगी रही।
इन मार्गों पर रही परेशानी
टिहरी, चंबा, उत्तरकाशी, श्रीनगर, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, ऋषिकेश, हरिद्वार, गुप्तकाशी, लैंसडौन, कोटद्वार, चिन्यालीसैंड़, देवप्रयाग, पुरोला, बड़कोट, घनसाली, धनोल्टी, मसूरी आदि।
ट्रेनों व रोडवेज बसों में मारामारी
टैक्सी-मैक्सी और निजी बसों के नहीं चलने से ट्रेनों व रोडवेज बसों में मारामारी रही। दून से ट्रेनों की संख्या कम है, लेकिन जो भी ट्रेन गई, उसमें खचाखच भरकर यात्री गए। यहां से सभी ट्रेनें हरिद्वार होकर जाती हैं और हरिद्वार से आगे के लिए काफी ट्रेनें हैं। ऐसे में यात्री भी इसी सोच के साथ हरिद्वार गए कि शायद कोई साधन वहां से मिल जाए।
विक्रम और ई-रिक्शा संचालकों ने वसूला मनमाना किराया
चक्का जाम का सबसे ज्यादा खामियाजा दैनिक यात्रियों ने भुगता और इसका लाभ उठाया विक्रम व ई-रिक्शा संचालकों ने। आटो चालक चक्का जाम में शामिल थे, लेकिन बैटरी चालित आटो व ई-रिक्शा संचालित होते रहे। दून शहर के बाहरी क्षेत्रों में जाने के लिए विक्रम और ई-रिक्शा संचालकों ने मनमाना किराया वसूला। ई-रिक्शा चालक चार के बजाय छह से सात सवारी ले गए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने दिया समर्थन
उत्तराखंड विक्रम, आटो रिक्शा परिवहन महासंघ के चक्का जाम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने समर्थन दिया। वह प्रदर्शन में शामिल ट्रांसपोर्टरों से मिले और यह मामला विधानसभा में उठाने की बात कही।
विवादित है विभाग की प्रक्रिया
आटोमेटेड फिटनेस स्टेशन के लिए निजी कंपनियों को पीपीपी मोड पर सौंपे जा रहे कार्य की परिवहन विभाग की प्रक्रिया पूरी तरह विवादित बताई जा रही है। देहरादून की सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि देहरादून के डोईवाला (लालतप्पड़) में गाजियाबाद की जिस कंपनी को आटोमेटेड फिटनेस स्टेशन का काम दिया गया है, उसने टेंडर प्रक्रिया से कुछ दिन पहले ही जमीन खरीदी थी।
टेंडर में पहले दून में कहीं पर भी फिटनेस स्टेशन बनाया जा सकता था, लेकिन ऐन मौके पर इसे डोईवाला के लिए आरक्षित कर दिया गया। काशीपुर में लखनऊ की जिस कंपनी को काम विभाग ने दिया, वह बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से जुड़ी है। उसे बिना टेंडर ही काम सौंप दिया गया, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। परिवहन कारोबारियों का आरोप है कि दोनों कंपनियों का संबंध भाजपा नेताओं से है और तमाम नियम ताक पर रखकर इन्हें काम दिया गया।