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Dehradun News: सूर्यधार बैराज पर मंत्रीजी को किया गुमराह, ईई बने बलि का बकरा

Dehradun News अक्टूबर 2022 से निलंबित चल रहे सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीके सिंह बहाली के लिए सरकार से लेकर शासन के चक्कर काट रहे हैं। शासन न तो निलंबन के क्रम में एक कदम आगे बढ़ पाया और न ही डीके सिंह को बहाल किया जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraMon, 20 Mar 2023 03:17 PM (IST)
Dehradun News: सूर्यधार बैराज पर मंत्रीजी को किया गुमराह, ईई बने बलि का बकरा
Dehradun News: स्वीकृत धनराशि 50.24 करोड़ से 12 करोड़ रुपये अधिक (62 करोड़ रुपये) खर्च किए जाने की बात कही।

सुमन सेमवाल, देहरादून: Dehradun News: अक्टूबर 2022 से निलंबित चल रहे सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीके सिंह बहाली के लिए सरकार से लेकर शासन के चक्कर काट रहे हैं। इस निलंबन की कहानी जिस आरोप से शुरू हुई, उसकी पुष्टि दो बार कराई गई जांच में भी नहीं हो पाई। नवंबर 2022 में उन्हें चार्जशीट भी दी गई और उसका जवाब वह छह दिसंबर को भेज चुके हैं। इसके बाद शासन न तो निलंबन के क्रम में एक कदम आगे बढ़ पाया और न ही डीके सिंह को बहाल ही किया जा रहा है।

सिंचाई खंड देहरादून में तैनात रहे अधिशासी अभियंता डीके सिंह के निलंबन की कहानी विभागीय मंत्री सतपाल महाराज के उस आदेश से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने अक्टूबर 2020 में सूर्यधार बैराज निर्माण में स्वीकृत धनराशि 50.24 करोड़ से 12 करोड़ रुपये अधिक (62 करोड़ रुपये) खर्च किए जाने की बात कही। साथ ही कहा कि बैराज की ऊंचाई आठ मीटर से 10 मीटर कर अधिक धनराशि ठिकाने लगाई गई। इस आधार पर विभागीय मंत्री ने प्रकरण की विशेष जांच कराने के आदेश जारी किए।

विभागीय मंत्री के आदेश पर अपर सचिव सिंचाई ने विशेष जांच की, जिसमें उन्होंने कहा कि परियोजना पर स्वीकृति के मुताबिक ही धनराशि खर्च की गई है। साथ ही कहा कि बैराज की ऊंचाई आठ से 10 मीटर डीपीआर को पुनरीक्षित किए जाने के क्रम में बढ़ाई गई। हालांकि, इसकी स्वीकृति शासन से नहीं ली गई। इसके साथ ही अपर सचिव ने प्रकरण की विस्तृत जांच वित्त एवं तकनीकी समिति से कराने की संस्तुति की।

अपर सचिव की संस्तुति के क्रम में निदेशक प्रशिक्षण सेंटर फार ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की। इस जांच में पाया गया कि परियोजना में विचलन (वेरिएशन) में 7.79 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए गए, जिसकी स्वीकृति शासन से प्राप्त नहीं की गई। हालांकि, इस राशि को अधिशासी अभियंता ने मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता स्तर से प्राप्त स्वीकृति के क्रम में खर्च किया गया। इसके प्रमाण भी जांच अधिकारियों को प्राप्त कराए गए थे। इन्हीं जांच के क्रम में डीके सिंह को निलंबित किया गया।

...तो फिर विभागीय मंत्री को किसने किया गुमराह

अधिशासी अभियंता डीके सिंह के प्रकरण में इस बात का जवाब दिया जाना अभी भी बाकी है कि किन अधिकारियों ने विभागीय मंत्री को सूर्यधार बैराज परियोजना में स्वीकृति से 12 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए जाने की जानकारी दी। क्योंकि, दो बार की जांच में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया।

...तो क्या डीपीआर की खामी उजागर करने की मिली सजा

सूर्यधार बैराज निर्माण परियोजना में वर्ष 2017 में एक डीपीआर बनाई गई थी। इस डीपीआर में बैराज की ऊंचाई आठ मीटर तय की गई थी। हालांकि, अधिशासी अभियंता डीके सिंह ने डीपीआर को त्रुटिपूर्ण बताते हुए उच्चाधिकारियों को आगाह किया था।

इस आधार पर डीपीआर की जांच कराई गई और उसमें इसमें भी त्रुटियां पाई गई। यह जांच डीके सिंह ने ही की थी और आइआइटी के विशेषज्ञों ने भी डीके सिंह की जांच में उठाए गए तथ्यों को उचित माना था। इसके बाद संशोधित डीपीआर तैयार कराई गई और बैराज की ऊंचाई आठ से 10 मीटर किया जाना तय किया गया। शायद डीके सिंह को यही खामी उजागर करना भारी पड़ गया और उनके निलंबन की वजह भी बन गया।

त्रुटिपूर्ण डीपीआर तैयार करने वाले व विभाग के उच्चाधिकारियों पर कार्रवाई नहीं

पूर्व की जांच में स्पष्ट कहा गया है कि त्रुटिपूर्ण डीपीआर तैयार करने वाले कंसल्टेंट व इसे स्वीकृति देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि, ऐसा न कर उल्टे त्रुटि उजागर करने वाले अधिकारी को ही नाप दिया गया।

दूसरी तरफ जांच में कहा गया है कि विचलन को शासन से स्वीकृत न कराकर 7.79 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस मामले में मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता ने स्वीकृति प्रदान की। यदि यह अनियमितता मानी गई है तो अधिशासी अभियंता को ही अकेले क्यों नाप दिया गया? क्योंकि, उन्हें अपने उच्चाधिकारियों की स्वीकृति प्राप्त थी।

चार्जशीट के क्रम में दिए गए जवाब की उन्हें जानकारी नहीं है। निलंबित अधिशासी अभियंता के जवाब पर कार्मिक विभाग को कार्रवाई करनी है। इस संबंध में पत्रावली देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।

- एचसी सेमवाल, सचिव सिंचाई विभाग