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उत्तराखंड: हरमीत सिंह को फांसी की सजा, परिवार के पांच सदस्यों की बड़ी ही बेरहमी से की थी हत्या

परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में बहस पूरी हो गई। अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष दोषी को फांसी की सजा देने की गुहार लगाई है। बहस के दौरान अधिवक्ताओं ने बिहार और पंजाब में हुए इस तरह के जघन्य अपराधों की जजमेंट अदालत के समक्ष रखी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 05 Oct 2021 02:33 PM (IST)Updated: Tue, 05 Oct 2021 09:28 PM (IST)
उत्तराखंड: हरमीत सिंह को फांसी की सजा, परिवार के पांच सदस्यों की बड़ी ही बेरहमी से की थी हत्या
परिवार के सदस्यों को बेरहमी से उतारा था मौत के घाट, मामले में बहस पूरी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने वाले हरमीत सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष कुमार मिश्र की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। सोमवार को अदालत ने हरमीत को दोषी करार दिया था। अक्टूबर 2014 में दीपावली की रात हरमीत ने पिता, सौतेली मां, नौ माह की गर्भवती बहन और भांजी की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। अदालत ने गर्भस्थ शिशु की मौत को भी हत्या करार दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम (रेयरेस्ट आफ द रेयर) मानते हुए फैसला सुनाया है।

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मामले में मंगलवार को दोपहर 12 बजे सजा पर सुनवाई शुरू हुई। तकरीबन एक घंटा चली सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से 2008 में बिहार, 1980 व 1983 में पंजाब में सामने आए ऐसे ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाई गई फांसी की सजा की दलील पेश की गईं। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद शाम को करीब चार बजे का कार्यवाही दोबारा शुरू हुई और अदालत ने हरमीत का सजा सुनाई।

भांजे की गवाही रही अहम

दिल दहलाने वाली यह वारदात सात वर्ष पहले दून के आदर्श नगर में हुई थी। हरमीत ने संपत्ति के लिए पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और तीन वर्षीय भांजी सुखमणि को मौत घाट उतार दिया। वारदात का पता तब चला, जब अगले दिन सुबह करीब साढ़े दस बजे नौकरानी राजी उनके घर पहुंची। इस मामले में हरजीत कौर के बेटे कमल की गवाही अहम रही। वह इस घटना का एकमात्र चश्मदीद है। हरमीत ने कमल पर भी हमला किया था, मगर वह बच गया।

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इन धाराओं में हुई सजा

-धारा 302 (हत्या)- फांसी

-धारा 307 (हत्या का प्रयास)- 10 वर्ष कैद व 25 हजार रुपये जुर्माना

-धारा 316 (गर्भवती महिला की हत्या)- 10 वर्ष कैद व 25 हजार रुपये जुर्माना

-जुर्माना अदा नहीं करने पर पांच साल का अतिरिक्त कारावास

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