ज्यादा कर्ज को फिर केंद्र से लेंगे अनुमति
राज्य के कार्मिकों के वेतन-भत्ते-पेंशन व मानदेय के बढ़ते खर्च की पूर्ति को बाजार से और ज्यादा कर्ज उठाने को सरकार को केंद्र के दर पर दस्तक देनी होगी।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
राज्य के कार्मिकों के वेतन-भत्ते-पेंशन व मानदेय के बढ़ते खर्च की पूर्ति को बाजार से और ज्यादा कर्ज उठाने को सरकार को केंद्र के दर पर दस्तक देनी होगी। बीते दिनों 300 करोड़ कर्ज उठाने के बाद यह नौबत आ चुकी है। केंद्र की अनुमति के बाद ही बाजार से फिर कर्ज उठाया जाएगा।
राज्य सरकार के कुछ दिन पहले 300 करोड़ कर्ज उठाने के साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में कर्ज का आंकड़ा 4200 करोड़ पहुंच चुका है। पहली छमाही में राज्य सरकार ने कर्ज के लिए 4500 करोड़ की सीमा निर्धारित की है। राज्य सरकार इस सीमा के करीब पहुंच चुकी है। इस सीमा से ज्यादा कर्ज उठाने की नौबत आने पर राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राज्य के बजट का 80 फीसद से ज्यादा हिस्सा वेतन, भत्तों, मानदेय और पेंशन पर खर्च हो रहा है।
'आमदनी चवन्नी और खर्च रुपैया' जैसे हालात ही हैं कि सरकार सातवें वेतनमान के भत्तों और बकाया 50 फीसद एरियर का कर्मचारियों को भुगतान करने का साहस नहीं जुटा पा रही है। अपने मासिक खर्चो की पूर्ति के लिए सरकार को कर्ज उठाना पड़ रहा है। अपने बूते राज्य सरकार तय सीमा से अधिक कर्ज नहीं उठा सकती। लिहाजा कर्ज की सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र से अनुमति ली जाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से जल्द केंद्र को पत्र भेजा जाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वैसे चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कर्ज की सीमा 7034 करोड़ निर्धारित की है। यह राशि बीते वित्तीय वर्ष से अधिक है। वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक कर्ज की सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को जल्द पत्र भेजा जाएगा।