कनिष्ठ अभियंताओं ने पंचायती राज विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा
कोरोना संक्रमण को देखते हुए पंचायती राज विभाग ने आउटसोर्स पर काम करने वाले 95 कनिष्ठ अभियंताओं व 281 डाटा एंट्री ऑपरेटरों को नौकरी से निकाल दिया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : कोरोना संक्रमण को देखते हुए पंचायती राज विभाग ने आउटसोर्स पर काम करने वाले 95 कनिष्ठ अभियंताओं व 281 डाटा एंट्री ऑपरेटरों को नौकरी से निकाल दिया है। नौकरी चले जाने से इन कर्मचारियों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। बहाली की मांग को लेकर कर्मचारियों ने विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एकता विहार में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
पंचायती राज विभाग में आउटसोर्स पर काम करने वाले हरीश कंडारी, मनीष रावत व विक्रम रावत ने बताया कि विभाग की ओर से अक्टूबर 2018 में कनिष्ठ अभियंताओं को 15 हजार व डाटा एंट्री ऑपरेटरों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर रखा गया। वेतन बढ़ाने की बात तो दूर विभाग ने मार्च 2020 में उन्हें बर्खास्तगी का पत्र थमाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया। इनमें कई कनिष्ठ अभियंता बीटेक व कुछ डिप्लोमा धारक हैं। कुछ समय तक वह विभागीय अधिकारियों के चक्कर काटते रहे, लेकिन उन्हें बार-बार आश्वासन दिया गया। नौ अक्टूबर को वह मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेज चुके हैं। लेकिन, अब तक विभाग की ओर से कोई कार्रवाई न होने के कारण अब उन्होंने आंदोलन का रास्ता अपना दिया है। उनकी बहाली नहीं की गई तो उन्हें आंदोलन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
इस मामले में पंचायती राज विभाग के सचिव कम निदेशक हरिचंद सेमवाल ने बताया कि कुछ कनिष्ठ अभियंताओं व डाटा एंट्री ऑपरेटरों को केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट के तहत आउटसोर्स से रखा गया था। अब प्रोजेक्ट का काम पूरा होने के बाद समयसीमा पूरी हो गई है और सरकार की ओर से मंजूरी न मिलने के बाद कर्मचारियों को निकाला गया है।
इस मौके पर विपिन रावत, मनोज नेगी, मनोज रावत, हेमंद्री, ममता चौहान, ललित चमोली, सुनील चौहान, अंकित उनियाल आदि मौजूद रहे। एक ब्लॉक में थी एक जेई की ड्यूटी
पंचायती राज विभाग की ओर से एक ब्लॉक में एक जूनियर इंजीनियर की ड्यूटी लगाई हुई थी। वह पंचायत स्तर पर सभी योजनाओं पर काम कर रहे थे। प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए सरकार की ओर से पेयजल निगम को परियोजना का कार्य सौंपा गया है। लेकिन, अब कनिष्ठ अभियंताओं की कमी के कारण सिचाई विभाग के जेई बुलाने पड़ रहे हैं, जबकि बेरोजगार हुए कर्मचारियों की तरफ सरकार ध्यान देने को तैयार नहीं है।