उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहा साइबर अपराध का ग्राफ, जानिए किस जिले में आए कितने मामले
जितनी तेजी से हम डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं उसी गति से साइबर अपराध में भी बढ़ोतरी हो रही है। उत्तराखंड में भी साइबर अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
देहरादून, जेएनएन। जितनी तेजी से हम डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, उसी गति से साइबर अपराध में भी बढ़ोतरी हो रही है। उत्तराखंड में भी साइबर अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते वर्ष जहां प्रदेश में साइबर अपराध के 73 मामले सामने आए थे, वहीं इस वर्ष आठ माह (जनवरी से अगस्त) में ही 86 मामले दर्ज हो चुके हैं।
इसलिए जरूरी है कि तकनीक और इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्त अतिरिक्त समझदारी दिखाई जाए, वरना एक गलती आपको कंगाल बना सकती है। चिंता की बात यह भी है कि अब साइबर अपराधियों के निशाने पर शहरों के धनी और नौकरीपेशा ही नहीं, छोटे कस्बों व गांवों के लोग भी हैं। वजह यह कि डिजिटलीकरण के इस दौर में वह तकनीकी के उपयोग से तो वाकिफ हैं, मगर अधिकतर को इसकी पेचीदगियों की जानकारी नहीं है। इससे साइबर अपराधियों को उन्हें शिकार बनाने में आसानी होती है। वहीं, डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल का कहना है कि साइबर अपराध से बचने का सबसे कारगर उपाय है, जागरूकता और सावधानी। छोटी-सी गलती साइबर अपराधी को हमारे बैैंक अकाउंट में सेंध लगाने या निजी जानकारी चोरी करने का मौका दे देती है। ऐसी स्थिति में बिना देर किए पुलिस को सूचना दें।
गढ़वाल परिक्षेत्र में साइबर अपराध
जनपद 2020 2019
उत्तरकाशी 00 02
टिहरी 06 03
चमोली 06 04
रुद्रप्रयाग 14 03
पौड़ी 01 01
हरिद्वार 25 29
देहरादून 34 41
(नोट: ये आंकड़े पुलिस रिकार्ड में दर्ज हैं)
2016 से 2018 के बीच ढाई गुना वृद्धि
नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016 के मुकाबले वर्ष 2018 में प्रदेश में साइबर अपराध में ढाई गुना से ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई थी। कंप्यूटर से संबंधित अपराध के मामले सर्वाधिक पाए गए। इसके अलावा एटीएम, ऑनलाइन धोखाधड़ी, यौन उत्पीडऩ, ब्लैकमेल, निजता का हनन, आदि के भी कई मामले सामने आए।
उत्तराखंड में साइबर अपराध
वर्ष संख्या
2016 62
2017 124
2018 171
(नोट: ये आंकड़े एनसीआरबी के हैैं)
ये सावधानियां बरतें
- किसी भी संदिग्ध ई-मेल, सोशल मैसेजिंग एप और लिंक को न खोलें।
- सोशल मीडिया और ई-बैैंकिंग के लिए पुख्ता पासवर्ड का प्रयोग करें।
- पासवर्ड की जानकारी किसी से भी साझा न करें।
- मदद के लिए किसी भी संस्था को दान देने या इनाम के लिए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें।
- ई-मेल या फोन कॉल से ठगी के प्रयास की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।