सीएसडी में बायोमेट्रिक सिस्टम फिलहाल नहीं
सीएसडी कैंटीन में अब बायोमेट्रिक सिस्टम से पहचान नहीं होगी। फिलहाल पूर्व की तरह ही कैटीन की व्यवस्था चलेगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: सीएसडी कैंटीन में अब बायोमेट्रिक सिस्टम से पहचान नहीं होगी। पूर्व की तरह मैनुअल तरीके से ही पहचान होगी। इसके लिए संबंधित विभाग ने अधिसूचना जारी की है। बताया गया है कि बायोमेट्रिक सिस्टम से बुजुर्ग सैनिकों को होने वाली परेशानी के कारण यह निर्णय लिया गया है। इसको लेकर कई बार लिखित शिकायत तक की गई थी। सेना ने फिलहाल यह प्रक्रिया बंद कर दी है।
बता दें, सामान लेने के लिए सीएसडी कैंटीन आने वाले जवानों, पूर्व सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए गत वर्ष बायोमेट्रिक प्रणाली लागू की गई थी। उनके अंगूठे का मिलान होने पर ही कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट (सीएसडी) से सामान मिल सकेगा। सेना ने बायोमेट्रिक डाटा बैंक तैयार करने का भी आदेश दिया था। कहा गया था कि इस नई व्यवस्था का उद्देश्य किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा स्मार्ट कार्ड के इस्तेमाल को रोकना है। दरअसल, सीएसडी से सेना में तैनात जवानों, पूर्व सैनिकों, सभी रैंक के अधिकारियों, जेसीओ और उनके आश्रितों को कैंटीन से सामान मिलता है। यह सामान खरीदने के लिए इन्हें स्मार्ट कार्ड जारी किया जाता है। चिपनुमा स्मार्ट कार्ड में रैंक के अनुसार खरीद की सीमा होती है। स्मार्ट कार्ड पर जवान का नाम, आर्मी नंबर और फोटो लगी होती है। इसका दुरुपयोग रोकने के लिए पहले भी कई स्तर पर बदलाव किए गए। बीते वर्ष बायोमेट्रिक प्रणाली लागू कर दी गई थी। पर इसमें कई पूर्व सैनिकों और वीरनारियों के फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो पाने के कारण दिक्कतें पेश आई। इसके अलावा इस पूरी प्रक्रिया में समय भी आधिक लग रहा था।
कैंटीन सर्विसेज डायरेक्ट्रेट के क्वार्टर मास्टर जनरल ब्राच द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बायोमेट्रिक सिस्टम को स्थगित रखा जाए। अनधिकृत व्यक्तियों को सामान की बिक्री रोकने लिए स्थानीय सैन्य प्रशासन और कैंटीन प्रबंधन जाच की उपयुक्त व्यवस्था कर सकता है। पर यह असुविधाजनक नहीं होनी चाहिए। यह कैंटीन प्रबंधन का अधिकार है कि किसी भी तरह की संदेह की स्थिति में वह व्यक्ति की पहचान सत्यापित करे। इसके लिए स्मार्ट कार्ड के अलावा सरकारी विभागों द्वारा जारी किसी अधिकृत पहचान पत्र को देखा जा सकता है।
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इसलिए लागू की थी व्यवस्था
पूर्व में ऐसे कई मामले संज्ञान में आए कि लोग कैंटीन से सामान लेकर परिचितों को बाट देते थे। जिस पर सरकार ने फिर स्मार्ट कार्ड लागू करते हुए सामान खरीदने की लिमिट तय कर दी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद भी कैंटीन का सामान गलत हाथों में पहुंचने से नहीं रुक पाया। ऐसे में पूर्व सैनिकों, वीरागनाओं के फिंगर प्रिंट मिलान की व्यवस्था की गई। वेटरन्स, दिव्यागों को परेशानी
सीएसडी में आमतौर पर जबरदस्त भीड़ रहती है। शनिवार, रविवार या अन्य अवकाश के दिन तो काफी ज्यादा भीड़ उमड़ती है। लंबी कतार में लगकर सेना के जवानों, अफसरों व उनके आश्रितों को सामान खरीदना पड़ता है। ऐसे में बायोमेट्रिक प्रणाली के चलते वेटरन्स व दिव्यागजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही कई लोग ऐसे हैं जिनके अंगूठे के निशान मशीन में रजिस्टर्ड तो कर लिए गए हैं, लेकिन कई बार वह मैच ही नहीं होते।
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