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उत्तराखंड में हवा की सेहत जांचने को स्थापित होंगे पांच मॉनीटरिंग स्टेशन

देहरादून शहर में हवा की बिगड़ती सेहत ने सिस्टम को बेचैन कर दिया है। वायु प्रदूषण की मॉनीटरिंग के लिए देहरादून में तीन और ऋषिकेश व काशीपुर में एक-एक मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित होंगे।

By Edited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 08:17 PM (IST)
उत्तराखंड में हवा की सेहत जांचने को स्थापित होंगे पांच मॉनीटरिंग स्टेशन
उत्तराखंड में हवा की सेहत जांचने को स्थापित होंगे पांच मॉनीटरिंग स्टेशन

देहरादून, राज्य ब्यूरो। बेहतरीन आबोहवा की पहचान वाले देहरादून शहर में हवा की बिगड़ती सेहत ने सिस्टम को भी बेचैन कर दिया है। देहरादून के साथ ही ऋषिकेश व काशीपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सचिवालय में बुलाई गई बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। इस मौके पर वायु प्रदूषण की मॉनीटरिंग के लिए देहरादून में तीन और ऋषिकेश व काशीपुर में एक-एक मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित करने के निर्देश पीसीबी को दिए गए। परिवहन निगम, नगर निगम, उद्योग और निर्माण कार्यों से जुड़े विभागों को भी कदम उठाने को निर्देशित किया गया। 

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देश के वायु प्रदूषित 120 शहरों में उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश व काशीपुर भी शामिल हैं। इन शहरों में बीते एक दशक में वायु प्रदूषण में 10 से 15 फीसद तक का इजाफा हुआ है। देहरादून को ही लें तो 2008 में यहां हवा में धूल के कण यानी पीएम-10 की मात्रा 140 से 150 माइकोग्राम प्रति घनमीटर थी, जो अब बढ़कर 180 से 200 के बीच है।

आदर्श मानक 100 का है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य के इन तीनों शहरों में वायु प्रदूषण की मात्रा मानकों से अधिक होने के मद्देनजर इसकी रोकथाम को प्रभावी उपाय करने के निर्देश दिए हैं। इस सबको देखते हुए अब शासन भी सक्रिय हो गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने तीनों शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की कार्ययोजना तैयार करने के मद्देनजर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अलावा परिवहन विभाग, नगर निगम, उद्योग व निर्माण से जुड़े विभगों के अधिकारियों के साथ विमर्श किया।

उन्होंने तीनों शहरों में वायु प्रदूषण की निरंतर मॉनीटरिंग के लिए स्टेशन स्थापित करने के अलावा जनजागरण पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को अगली बैठक में ठोस कार्ययोजना के साथ उपस्थित होने को कहा। बैठक में प्रमुख सचिव आनंदव‌र्द्धन, सचिव अमित नेगी, अरविंद सिंह ह्यांकी, दिलीप जावलकर, हरबंस सिंह चुघ, आर.मीनाक्षी सुंदरम, पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि, पर्यावरण अभियंता डॉ.अंकुर कंसल आदि मौजूद थे। 

आइटी पार्क व नेहरु कॉलोनी फाइनल 

देहरादून में वायु प्रदूषण की मॉनीटरिंग के लिए आइटी पार्क व नेहरू कॉलोनी में मानीटरिंग स्टेशन स्थापित करने को स्थल चयन हो चुका है। तीसरे स्टेशन के लिए चकराता रोड का चयन किए जाने की संभावना है। तीनों मॉनीटरिग स्टेशन स्थापित होने पर वायु प्रदूषण का रीयल टाइम डाटा मिलेगा। 

साथ ही वहां बोर्ड पर यह डिस्पले भी होगा। इसके अलावा ये स्टेशन केंद्र सरकार के सर्वर से भी जुड़े रहेंगे। वर्तमान में दून में रायपुर, घंटाघर व आइएसबीटी में मैनुअल आधार पर वायु प्रदूषण की जांच की जाती है। 

15 साल पुराने डीजल वाहन होंगे बाहर 

मुख्य सचिव ने 15 साल पुराने डीजल चालित वाणिज्यिक वाहनों को चरणबद्ध ढंग से सड़क से बाहर करने के लिए अन्य राज्यों के अनुभवों का अध्ययन करने के निर्देश परिवहन निगम के एमडी को दिए। उन्होंने वाणिज्यिक वाहनों के लिए सीएनजी व एलपीजी लागू करने, शत-प्रतिशत पीयूसी जारी करने, वाहनों की निरंतर फिटनेस जांचने को भी भावी कार्ययोजना में शामिल करने के निर्देश एमडी परिवहन व परिवहन आयुक्त को दिए। 

सड़कों पर जल छिड़काव करें नगर निगम 

दून समेत तीनों शहरों में सड़कों से उठने वाले धूल के गुबारों पर नियंत्रण के लिए नगर निगमों को सड़कों की निरंतर सफाई व जल छिड़काव करने के साथ ही पैदल पथ पक्के करने, सड़क किनारे पौधरोपण, स्कूलों में पौधरोपण जैसे कार्यों को कार्ययोजना में शामिल करने को कहा गया। इसके अलावा निर्माण संबंधी गतिविधियों के लिए कार्यदायी संस्थाओं को साइटस को कवर करने, सामग्री का भंडारण खुले में न करने, सड़क किनारे सामग्री को एकत्र करने पर अंकुश लगाने के निर्देश भी मुख्य सचिव ने दिए। 

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उद्योगों में हो क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल 

मुख्य सचिव ने औद्योगिक इकाइयों में क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल कराने और नए स्थापित उद्योगों में ठोस ईधन को प्रतिबंधित करने पर जोर दिया। उन्होंने उद्योग व संबंधित विभाग को इसे भी कार्ययोजना में शामिल करने को कहा। शिकायत को तैयार होगा एप वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों और इनके निदान के मद्देनजर जल्द ही एप भी तैयार होगा। मुख्य सचिव ने इसके निर्देश अधिकारियों को दिए। साथ ही जनजागरण के लिए स्कूलों और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश दिए।

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