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नाबालिगों की शर्मनाक करतूत से अदालत हैरान

देहरादून में न्यायालय ने आठ साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म के कृत्य पर भी हैरानी जताई और इसे अक्षम्य करार दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 09:10 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 05:21 PM (IST)
नाबालिगों की शर्मनाक करतूत से अदालत हैरान
नाबालिगों की शर्मनाक करतूत से अदालत हैरान

देहरादून, [जेएनएन]: आठ साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले पांचों नाबालिग आरोपितों को किशोर न्याय बोर्ड के प्रमुख मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने के बाद बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। उनके कृत्य पर न्यायालय ने भी हैरानी जताई और इसे अक्षम्य करार दिया। अदालत ने बच्चों के मोबाइल में अश्लील फिल्म कहां से आई, इसकी भी जांच के आदेश पुलिस को दिए। साथ ही अभिभावकों को बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की नसीहत भी दी। इधर, सोमवार को बच्ची का मेडिकल कराया गया।

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सहसपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में शनिवार शाम यह शर्मनाक वाकया सामने आने के बाद हर कोई दंग है। नौ से 14 साल के बच्चों ने मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखने के बाद पड़ोस की आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर डाला। बच्ची उस वक्त घर पर अकेली थी, वह उसे टॉफी खिलाने के बहाने आरोपितोंं में से एक के घर ले गए थे। उसके घर पर भी उस वक्त कोई नहीं था। शुक्रवार दोपहर हुई इस घटना का शनिवार शाम तब खुलासा हुआ, जब बच्ची के गुमशुम रहने और खाना न खाने पर उसकी मां ने कारण जानना चाहा। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने रविवार को पांचों नाबालिग आरोपितों को हिरासत में ले लिया था।

सोमवार को पुलिस ने पांचों आरोपितों को किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट भवदीप रावत के समक्ष पेश किया। मजिस्ट्रेट ने पांचों नाबालिगों से अलग-अलग बयान लिए। इसके बाद उन्हें बाल सुधार भेज दिया। थानाध्यक्ष नरेश राठौड़ के मुताबिक अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इतनी कम उम्र में बच्चों ने जिस योजनाबद्ध तरीके से जघन्य अपराध किया है, वह क्षम्य नहीं है। इतने छोटे बच्चों की ऐसी सोच, इससे इंगित हो रहा है कि समाज किस गलत दिशा में जा रहा है। 

अदालत ने अश्लील फिल्म बच्चों के पास कहां से आई, इसकी भी जांच करने के आदेश दिए हैं। आरोपितों के बयानों से हैरान अदालत ने अभिभावकों को न केवल चेताया, बल्कि उनका फर्ज भी याद दिलाया। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि बच्चों के सबसे पहले संरक्षक माता-पिता हैं। वे बच्चों से मोबाइल फोन को दूर रखें, क्योंकि बच्चे फोन पर अपनी सोच के मुताबिक ही इसका उपयोग कर गलत दिशा में जा रहे हैं। 

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