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Coronavirus: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ी रिकवरी की रफ्तार, अल्मोड़ा सबसे बेहतर स्थिति में

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में स्थिति कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर फिलहाल स्थिति नियंत्रण में आती दिख रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 09:39 AM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ी रिकवरी की रफ्तार, अल्मोड़ा सबसे बेहतर स्थिति में

देहरादून, जेएनएन। एक वक्त पर चिंता का सबब बन रहे पर्वतीय जिलों में स्थिति अब नियंत्रण में आती दिख रही है। लॉकडाउन-3 में मिली छूट के बाद सैकड़ों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे, जिसके बाद कोरोना मुक्त रहा प्रदेश का पहाड़ी क्षेत्र भी एक-एक कर इस बीमारी की जद में आता चला गया। जिस तेजी से यहां कोरोना का ग्राफ बढ़ा, उसने कई स्तर पर चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। पर अब उसी रफ्तार से लोग रिकवर भी होने लगे हैं। 

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नौ पर्वतीय जिलों की बात करें तो फिलवक्त अल्मोड़ा सबसे बेहतर स्थिति में है। उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, चंपावत और बागेश्वर में भी पचास फीसद से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि पिथौरागढ़, चमोली और पौड़ी गढ़वाल में भी स्थिति में सुधार दिख रहा है। रुद्रप्रयाग का रिकवरी रेट जरूर कम है। इधर, प्रदेश की राजधानी दून में रिकवरी रेट अभी भी बहुत कम है। यहां पर  मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 30 फीसद है। 

वहीं, प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमित जिन चौदह मरीजों की मौत हुई है, उनमें नौ मरीज देहरादून जनपद की सूची में शामिल हैं। रिकवरी रेट में नैनीताल और ऊधमसिंहनगर दून से कई बेहतर स्थिति में हैं। जबकि हरिद्वार भी दून के आसपास ही खड़ा दिख रहा है।

जनपदवार रिकवरी रेट (प्रतिशत में)

अल्मोड़ा 85

उत्तरकाशी 74

ऊधमसिंहनगर 68

टिहरी गढ़वाल 66

नैनीताल 66

चंपावत 56

बागेश्वर 51

पिथौरागढ़ 48

चमोली 47

पौड़ी गढ़वाल 34

हरिद्वार 31

देहरादून 30

रूद्रप्रयाग 13

बिना डॉक्टर की सलाह जुकाम, बुखार की दवा बेची तो कार्रवाई

कोरोना अलर्ट के बीच अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। शासन द्वारा साफ किया गया है कि कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार की दवा बिना चिकित्सक के पर्चे के नहीं बेचेगा। अगर बेचेगा तो उसे मरीज का डाटा और दवा का ब्योरा प्रशासन को उपलब्ध कराना होगा। मरीज का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल का विवरण अलग एक रजिस्टर में अंकित किया जाएगा। पर अभी भी बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर इसका पालन नहीं कर रहे हैं। ऐेसे में आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने सभी जिलों को इसका सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों का नियमित रूप से निरीक्षण करते रहें। यदि कोई कैमिस्ट सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार की दवा बिना चिकित्सक के पर्चे के बेचता पाया जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करें। मेडिकल स्टोर संचालकों से इस बावत सूचना प्राप्त कर हर दिन उन्हें भेजनी होगी।

निजी अस्पताल नहीं दे रहे जानकारी

प्रदेशभर के सभी निजी अस्पतालों की जानकारी भी शासन-प्रशासन को नहीं मिल पा रही है। उनका रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल हो रहा है। अस्पताल रोजाना कितने मरीज देख रहे हैं, क्या दवाएं दे रहे हैं इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। इसके अलावा गली-मोहल्ले के मेडिकल स्टोरों की निगरानी भी नहीं हो पा रही है और उनकी ओर से डिटेल भी अपडेट नहीं की जा रही है।

चार जिलों में 70 फीसद मरीज

प्रदेश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन राहत की बात यह है कि एक समय तेजी से पहाड़ चढ़ रहे कोरोना के मामले फिलहाल प्रदेश के चार जिलों में ही सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। ये जिले हैं देहरादून, नैनीताल, टिहरी और हरिद्वार। कोरोना के 70.29 फीसद मरीज इन्हीं चार जिलों में हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा 26.59 फीसद मरीज देहरादून में हैं। इसके बाद मरीजों के मामले में नैनीताल की हिस्सेदारी 22.98 तो टिहरी की 10.53 व हरिद्वार की 10.18 फीसद है।

रैंडम सैंपलिंग और संस्थागत क्वारंटाइन की व्यवस्था रही कारगर

शुरुआत में प्रदेश आने वाले अधिकांश प्रवासियों को सीधे उनके गृह जनपद भेजा जा रहा था। इससे न सिर्फ कोरोना मुक्त चल रहे पर्वतीय जिले संक्रमण की जद में आ गए बल्कि शासन के माथे पर चिंता की लकीरें भी गहरी हो गईं। ऐसे में प्रवासियों के राज्य में प्रवेश करने के साथ ही उनकी रैंडम सैंपलिंग और कोरोना की आशंका होने पर वहीं संस्थागत क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई, जिसका असर अब नजर आ रहा है। यही वजह है कि बाकी के आठ जिलों में संक्रमण को उतना विस्तार नहीं मिला है, जितनी आशंका जताई जा रही थी।

जिलेवार कोरोना संक्रमित

अल्मोड़ा, 73

बागेश्वर, 35

चमोली, 34

चम्पावत, 48

देहरादून, 376

नैनीताल, 325

टिहरी, 149

पौड़ी, 47

हरिद्वार, 144

ऊधमसिंह नगर, 92

रुद्रप्रयाग, 24

उत्तरकाशी, 23

पिथौरागढ़, 44

सबसे ज्यादा मौत देहरादून में

कोरोना संक्रमण की रफ्तार के साथ प्रदेश में संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक 14 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। इसमें भी सबसे ज्यादा नौ मौतें देहरादून जिले में हुई हैं।

रिकवरी में नैनीताल आगे, एक्टिव केस में दून

मरीजों के ठीक होने की बात करें तो संख्या के लिहाज से नैनीताल अन्य जिलों से काफी आगे हैं। यहां 216 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। वहीं, एक्टिव केस के मामले में दून 249 केस के साथ सबसे ऊपर है। सबसे कम छह एक्टिव केस उत्तरकाशी में हैं।

जिलेवार रिकवर और एक्टिव केस

जिला, ठीक हुए, एक्टिव

देहरादून, 113, 249

नैनीताल, 216, 107

टिहरी, 98, 51

पौड़ी, 16, 30

हरिद्वार, 45, 97

ऊधमसिंह नगर, 64, 28

रुद्रप्रयाग, 03, 21

अल्मोड़ा, 62, 10

चमोली, 16, 18

उत्तरकाशी, 17, 06

बागेश्वर, 18, 17

चम्पावत, 27, 20

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पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट नेगेटिव आने से राहत

संवेदनशील क्षेत्रों में ड्यूटी कर रहे पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है, जिससे महकमे को काफी राहत मिली है। हालांकि, कुछ पुलिसकर्मियों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। बीते दिनों रायपुर थाना, आइएसबीटी पुलिस चौकी और पटेलनगर बाजार चौकी के कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों की रैंडम सैंपलिंग हुई थी। सीओ सदर अनुज कुमार ने बताया कि आइएसबीटी और पटेलनगर बाजार चौकी से 25 कार्मिकों के सैंपल लिए गए थे। इनमें से छह की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। बाकी की रिपोर्ट आना अभी शेष है। वहीं, सीओ रायपुर पल्लवी त्यागी ने बताया कि रायपुर थाने में 14 कार्मिकों के सैंपल लिए गए थे। यह स्टाफ रायपुर स्थित स्पोर्ट्स कॉलेज में तैनात था। सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। 

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