coronavirus: उत्तराखंड में एसटीएफ के सुरक्षा कवच ने रोका कोरोना विस्फोट, नहीं तो हालात हो सकते थे भयावह
पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स अगर समय रहते अलर्ट न हुई होती तो उत्तराखंड के हालात भी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे भयावह हो सकते थे।
देहरादून, संतोष तिवारी। उत्तराखंड पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स अगर समय रहते अलर्ट न हुई होती तो उत्तराखंड के हालात भी महाराष्ट्र और गुजरात जैसे भयावह हो सकते थे। जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड में सामने आए 1436 जमातियों के संपर्क में करीब सात हजार लोग आये थे। एसटीएफ ने इन सभी को ट्रेस कर क्वारंटाइन में भेजकर आमजन को कोरोना संक्रमण से बचाया।
अत्याधुनिक तकनीक और संचार संसाधनों से लैस एसटीएफ ने उत्तराखंड में कोरोना संकटकाल में राज्य के लाखों लोगों को संक्रमित होने से बचाया। जब दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से बड़ी संख्या में जमातियों के देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने की बात पता चली तो अन्य राज्यों के साथ उत्तराखंड में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया। डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार को एसटीएफ के जरिये इन जमातियों को ट्रेस करने का टास्क सौंपा। एसटीएफ ने जिलों की पुलिस के साथ मिलकर जमातियों की लिस्ट तैयार की जो जनवरी से मार्च के बीच उत्तराखंड में आए थे।
पुलिस तब चौंकी जब पता चला कि इन जमातियों की संख्या करीब 1436 है। डीजी (एलओ) अशोक कुमार बताते हैं कि पता चला कि 518 के करीब जमाती ऐसे हैं जो दूसरे राज्यों से उत्तराखंड पहुंचे हैं। वही, 918 के करीब जमाती उत्तराखंड से बाहर जाकर लौट आए थे। इन सभी के मोबाइल सीडीआर की पड़ताल की गई। पता चला कि इन सभी ने तमाम लोगो से संपर्क किया। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में पता चला कि ऐसे लोगों की संख्या करीब सात हजार है। यह सबसे बड़ी चुनौती थी। इन्हें सत्यापित कर क्वारंटाइन में भेजना था। इस काम में जिलों की पुलिस को भी शामिल किया गया। नतीजा यह रहा कि 10 अप्रैल तक शत-प्रतिशत जमातियों और उनके संपर्क में आए लोगों को ट्रेस कर इंस्टीटयूश्नल व होम क्वारंटाइन कर दिया गया।
पहचान के लिए बीस हजार फोन नंबरों की हुई ट्रेसिंग
एसटीएफ के लिए जमातियों के संपर्क को तलाशना और फिर उनकी लोकेशन ट्रेस करना बिल्कुल भी आसान नही था। एसटीएफ की डीआइजी रिधिम अग्रवाल बताती हैं कि इसके लिए कई अत्याधुनिक तकनीकी संसाधनों का सहारा लिया गया। बीस हजार से अधिक फोन नंबरों को ट्रेस किया गया।
कंट्रोल रूम ने संभाली थी ट्रेस करने की कमान
जमातियों को ट्रेस करने के लिए आइजी अभिनव कुमार और सचिव चंद्गेश यादव ने कंट्रोल रूम में कमान संभाली थी। एसटीएफ की ओर से जैसे ही किसी जमाती की लोकेशन पता चलती, यहां से संबंधित जिलों से तब तक फीडबैक लिया जाता, जब तक उसे पकड़ नही लिया जाता।
सभी कोरोना मरीजों की हुई कांट्रेक्ट ट्रेसिंग
जमाती ही नहीं उत्तराखंड में मिले सभी कोरोना मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। इसके लिए कोरोना की रिपोर्ट आते ही एसटीएफ संबंधित शख्स की कुंडली खंगालने में जुट जाती है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि रिपोर्ट आने से पहले वह किस-किस के संपर्क में आए। ताकि उन्हें भी समय रहते क्वारंटाइन किया जा सके। इस तरह रविवार तक मिले सभी कोरोना मरीजों के संपर्क में आए करीब एक लाख लोगों की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा चुकी है।
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पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार का कहना है कि उत्तराखंड में अब एक भी जमाती या उसके संपर्क में आए लोग नहीं हैं, जिन्हें ट्रेस न कर लिया गया हो। अगर ऐसा न होता तो राज्य में स्थिति और चुनौतीपूर्ण होती।
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