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राजाजी-कार्बेट : गांवों के विस्थापन से निर्बाध होंगे गलियारे

वन्यजीवों की एक से दूसरे जंगल में स्वछंद विचरण में आ रही बाधाएं दूर करने के मद्देनजर अब गलियारे निर्बाध करने को कसरत तेज हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 05:07 AM (IST)
राजाजी-कार्बेट : गांवों के विस्थापन से निर्बाध होंगे गलियारे

राज्य ब्यूरो, देहरादून:

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वन्यजीवों की एक से दूसरे जंगल में स्वछंद विचरण में आ रही बाधाएं दूर करने के मद्देनजर अब गलियारे निर्बाध करने को कसरत तेज हो गई है। इस कड़ी में कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व से दो गांवों को विस्थापित करने का निर्णय लिया गया है। कार्बेट से लालढांग गांव को आमपोखरा में विस्थापित कर दिया गया है, मगर राजाजी के चीला-मोतीचूर गलियारे से खांडगांव का पूरी तरह विस्थापन बाकी है। इसे देखते हुए शासन भी सक्रिय हो गया है। प्रमुख सचिव वन आनंद ब‌र्द्धन के अनुसार प्रक्रिया चल रही है। विस्थापित गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाएगा, जबकि उनकी पूर्व की भूमि संबंधित रिजर्व में शामिल की जाएगी।

पहले बात एशियाई हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिजर्व की, जिसके चीला-मोतीचूर हाथी गलियारे में खांडगांव है। नतीजतन, हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही बाधित हुई है। प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत 2003-04 से इस गांव के विस्थापन की कवायद हुई। ग्रामीणों को ऋषिकेश रेंज के लालपानी में पुनर्वासित किया गया। दो चरणों में विस्थापन हुआ, लेकिन अभी भी वहां 10 परिवार हैं। अब इन्हें भी लालपानी में शिफ्ट किया जा रहा है।

खांडगांव के पूरी तरह विस्थापित होने से हाथी गलियारे को 28.04 हेक्टेयर भूमि मिल जाएगी और यह निर्बाध हो जाएगा। साथ ही लालपानी में खांडगांव के विस्थापन होने पर उसे राजस्व ग्राम का दर्जा मिलेगा। इसी तरह कार्बेट टाइगर रिजर्व से भी लालढांग गांव को आमपोखरा में विस्थापित करने के लिए गए निर्णय के तहत इसे शिफ्ट कर दिया गया है। हालांकि, अभी उसकी 184 हेक्टेयर भूमि न तो रिजर्व के बफर जोन में शामिल हुई है और न लालढांग को राजस्व ग्राम का दर्जा मिल पाया है। अब इन दोनों मामलों के निस्तारण को लेकर शासन सक्रिय हुआ है। इस संबंध में दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं। कोशिश ये है कि इसी वित्तीय वर्ष में इन मसलों का निस्तारण हो जाए। इससे दोनों रिजर्व और संबंधित गावों को लाभ मिलेगा।

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बाधित हैं हाथी गलियारे

राज्य में हाथियों की परंपरागत आवाजाही को लिए 11 गलियारे (कॉरीडोर) कासरों-बड़कोट, चीला-मोतीचूर, मोतीचूर-गौहरी, रवासन-सोनानदी (लैंसडौन), रवासन-सोनानदी (बिजनौर), दक्षिण पतली दून-चिलकिया, चिलकिया-कोटा, कोटा-मैलानी, फतेहपुर-गदगदिया, गौला रौखड़-गौराई- टांडा, किलपुरा-खटीमा-सुरई चिह्नित हैं। ये सभी विभिन्न स्थानों पर बाधित हैं। कहीं मानव बस्ती उग आई है तो कहीं रेल व सड़क मार्गाें ने दिक्कतें खड़ी की हुई हैं।


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