राजकीय चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं पर सीएमएस को घेरा
एसपीएस राजकीय चिकित्सालय पिछले लंबे समय से अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है लेकिन जिम्मेदार इसकी सुध नहीं ले रहे है।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : एसपीएस राजकीय चिकित्सालय पिछले लंबे समय से अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। कावड़ यात्रा आने वाली है। यहां एंटी रेबीज इंजेक्शन सहित अन्य कई सुविधाएं नदारद हैं। इन तमाम मुद्दों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का घेराव कर जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की।
गढ़वाल मंडल का प्रवेश द्वार होने के कारण राजकीय चिकित्सालय अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है। इसके महत्व को शासन और प्रशासन ने नहीं समझ रहे हैं। यहां कभी चिकित्सकों, कभी स्टाफ और कभी अन्य सुविधाओं का हमेशा संकट बना रहता है। मामूली दुर्घटना और बीमारी पर रोगी को रेफर कर दिया जाता है। मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का घेराव कर उन्हें इन अव्यवस्थाओं से अवगत करते हुए ज्ञापन सौंपा। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि तीन दिन के भीतर समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो अगला प्रदर्शन पीड़ितों के साथ सीएमएस के घर पर किया जाएगा।
ज्ञापन में कहा गया कि अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लंबे समय से उपलब्ध नहीं है। जिस कारण कुत्ते के काटे लोग परेशान हैं। वहीं कावड़ यात्रा शुरू होने वाली है इसलिए इससे पूर्व यहां चिकित्सक व अन्य स्टाफ की कमी को दूर किया जाना चाहिए। सीएमएस को कांग्रेसियों ने अवगत कराया कि चिकित्सालय की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। गंदगी के कारण मरीजों को अन्य बीमारियों का खतरा बना रहता है। साथ ही व्हील चेयर और स्ट्रेचर की कमी है। जरूरत पड़ने पर रोगी के तीमारदार स्वयं ही स्ट्रेचर उठाने को मजबूत रहते हैं। घेराव करने वालों में पार्षद देवेंद्र प्रजापति,दीपक जाटव, सुमित त्यागी, इमरान सैफी, अजय दास, नीरज चौहान, अभिनव सिंह मलिक, मुकेश जाटव, अमन भारद्वाज, एकांत गोयल, जगत सिंह नेगी, ऋषि पोसवाल, संजय प्रजापति, गौतम नौटियाल, जितेंद्र पाल पाटी, पंकज गुलाटी, प्रशांत शर्मा आदि शामिल थे।
डीएम के सामने उठ चुका है मामला
कांवड़ यात्रा की तैयारी को लेकर रविवार को नगर निगम सभागार में जिलाधिकारी श्री रविशंकर अधिकारियों की बैठक ले चुके हैं। इस बैठक में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन का मामला उठा था। जिलाधिकारी ने कहा था कि राजकीय चिकित्सालय में सभी व्यवस्थाओं को ठीक कर लिया जाए और यहां एंटी रैबीज इंजेक्शन हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। बैठक में उपस्थित अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ केके सिंह ने बताया था कि पूरे प्रदेश में ही एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं है। लंबे समय से इसकी मांग को पूरा नहीं किया जा सका है।
एंबुलेंस नहीं पीठ में जाते हैं मरीज
राजकीय चिकित्सालय की हालत इतनी बदतर है कि यहां से मरीज को किसी अन्य अस्पताल ले जाना हो तो एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होती है। अधिकांश मामलों में तीमारदारों को ही अपने स्तर पर वाहन की व्यवस्था करनी होती है। जिसके पास वाहन के लिए पैसा ना हो वहां तीमारदार अपने मरीज को पीठ पर ढोने के लिए मजबूर रहता है। मगर चिकित्सालय प्रशासन इस ओर उदासीन बना हुआ है।