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एमवी एक्ट की आड़ लेकर क्लेम निरस्त करना पड़ा भारी, जानिए क्या है पूरा मामला

कंपनी सिर्फ यह कहकर क्लेम से नहीं बच सकती कि दुर्घटना के वक्त वाहन पंजीकृत नहीं था। ऐसे एक मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता को बड़ी राहत दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 02:10 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 02:10 PM (IST)
एमवी एक्ट की आड़ लेकर क्लेम निरस्त करना पड़ा भारी, जानिए क्या है पूरा मामला

देहरादून, जेएनएन। बीमा कंपनी सिर्फ यह कहकर क्लेम से नहीं बच सकती कि दुर्घटना के वक्त वाहन पंजीकृत नहीं था। ऐसे एक मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता को बड़ी राहत दी है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा दी गई विधि व्यवस्था के आलोक में फोरम ने कहा कि उपभोक्ता ने पंजीयन में कोई चूक नहीं की। ऐसे में एमवी एक्ट का उल्लंघन बताकर क्लेम निरस्त कर देना विधि विरुद्ध है। 

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लक्ष्मणपुर विकासनगर निवासी कुंवर सिंह ने हर्बटपुर स्थित जगदंबा ट्रेडिंग कंपनी (डीलर) और टाटा एआइजी जनरल इंश्योरेंस को पक्षकार बना जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वादी के अनुसार उन्होंने जगदंबा ट्रेडिंग से छह लाख 70 हजार रुपये का ट्रैक्टर लिया था। जिसमें चार लाख रुपये का उन्होंने ऋण लिया। जिसका 11,500 रुपये का प्रीमियम अदा कर टाटा एआइजी जनरल इंश्योरेंस से बीमा कराया गया था। अपने पैतृक गांव डामटा सहिया से पूजा अर्चना करके लौटते वक्त अचानक जानवर सामने आ जाने से ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गया। जिसकी जानकारी उन्होंने क्षेत्र के पटवारी को दी। 

बीमा कंपनी के सर्वेयर ने मौके पर आकर सर्वे किया और समस्त दस्तावेज भी उन्होंने उसे उपलब्ध करा दिए। इसके बाद वह ट्रैक्टर को क्रेन की मदद से वह डीलर के वर्कशॉप में ले गए। उन्होंने बीमा कंपनी से 6,36,500 रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की पर इसका भुगतान नहीं किया गया। बाद में नो क्लेम करके फाइल बंद कर दी। उपभोक्ता फोरम में बीमा कंपनी ने यह तर्क दिया कि दुर्घटना के वक्त वाहन पंजीकृत नहीं था। पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करने से पूर्व सार्वजनिक मार्ग पर इसका परिचालन नहीं किया जाना था। 

एमवी एक्ट का उल्लंघन होने पर उपभोक्ता क्लेम पाने का अधिकारी नहीं है, जबकि उपभोक्ता फोरम ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा दी गई विवि व्यवस्था को आधार बनाया। अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने अपने आदेश में कहा कि पंजीयन के लिए उपभोक्ता ने अपनी तरफ से कोई चूक नहीं की है। ऐसे में उसे क्षतिग्रस्त वाहन का क्लेम पाने का पूरा अधिकार है। एक लाख 80 हजार रुपये साल्वेज की कटौती कर 4,56,000 रुपये का क्लेम अदा करने का आदेश कंपनी को दिया है। इसके अलावा 20 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व तीन हजार रुपये वाद व्यय के रूप में देने का आदेश दिया है। 

दुर्घनाग्रस्त ट्रैक्टर की मरम्मत का देना होगा खर्च 

दुर्घनाग्रस्त ट्रैक्टर की मरम्मत का खर्च बीमा कंपनी को देना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम ने क्लेम के साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति का आदेश भी उसे दिया है। 

खैरीकला ऋषिकेश निवासी सूरज सिंह ने श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी को पक्षकार बना जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वादी के अनुसार उन्होंने स्वरोजगार के लिए एक ट्रैक्टर-ट्रॉली खरीदा था। जिसका उक्त बीमा कंपनी से बीमा कराया गया था। यह वाहन रेलवे ओवर ब्रिज, ऋषिकेश से समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना उन्होंने तुरंत बीमा कंपनी को दी। कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर को तमाम दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिए। 

ट्रैक्टर की मरम्मत का खर्च 1,44,016 रुपये बताया गया, पर कंपनी ने क्लेम खारिज कर दिया। बीमा कंपनी ने उपभोक्ता फोरम में कहा कि उक्त ट्रैक्टर व्यवसायिक प्रयोजन के लिए चलाया जा रहा था। इसलिए क्लेम पोषणीय नहीं है। फोरम ने तमाम तर्क सुनने के बाद यह निर्णय दिया कि जिस प्रकार से क्लेम खारिज किया गया वह सुसंगत नहीं है। सर्वेयर ने क्लेम 95 हजार रुपये आकलित किया है। क्योंकि वह आइआरडीए से संस्तुत स्वतंत्र सर्वेयर है, उसकी रिपोर्ट पर संदेह नहीं किया जा सकता। 

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फोरम के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल और सदस्य विमल प्रकाश नैथानी ने बीमा कंपनी को तीस दिन के भीतर रकम अदायगी का आदेश दिया है। इसके अलावा 12 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और तीन हजार रुपये वाद व्यय के भी उसे देने होंगे। 

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