जिला और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के किले को बचाने में कांग्रेस ने झोंकी ताकत
प्रदेश में क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के प्रमुखों के अपने किलों को बचाने के लिए प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के प्रमुखों के अपने किलों को बचाने के लिए प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। सत्तारूढ़ दल भाजपा की ओर से त्रिस्तरीय पंचायतों पर कसे जा रहे शिकंजे को ढीला करने के लिए पार्टी सधे अंदाज में रणनीति को अंजाम देने में जुटी है।
जिला पंचायतों में कांग्रेस समर्थित 52 प्रत्याशियों की जीत का आंकड़ा भले ही कम हो, लेकिन पार्टी की नजरें उसकी विचाराधारा से जुड़े 98 निर्दलीय जिला पंचायतों पर टिकी हैं। इनके बूते पार्टी दोनों मंडलों के सात जिलों में फतह पाने की उम्मीद संजोए है।
त्रिस्तरीय पंचायतों में अब आखिरी चरण में क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव होने हैं। बीते पंचायत चुनाव में कांग्रेस अपना दबदबा कायम करने में सफल रही थी, लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह बदली हुई हैं। पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सामने प्रदेश में सियासी वजूद बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
पंचायत चुनाव में संसाधनों की कमी का आलम ये रहा कि 13 जिलों में कुल 347 जिला पंचायत सदस्यों की सीट में से कांग्रेस पार्टी ने फूंक-फूंककर कदम बढ़ाते हुए महज 160 समर्थित प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे। पार्टी ने उन्हीं सीटों पर समर्थित प्रत्याशी उतारे, जहां आम सहमति बनी। शेष सीटों को कांग्रेस विचाराधारा से जुड़े प्रत्याशियों के सहारे छोड़ा गया।
पार्टी के जिला पंचायतों में 160 समर्थित प्रत्याशियों में से 52 विजयी रहे हैं, जबकि पार्टी विचाराधारा से जुड़े 98 निर्दलीय जीते हैं। इन्हें मिला दिया जाए तो यह आंकड़ा 150 हो जाता है। इसके बूते कई जिलों में किले को बचाने की जुगत बिठाई जा रही है।
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कांग्रेस के सामने सत्तारूढ़ दल की रणनीतिक व्यूह रचना को बेधने की बड़ी चुनौती है। भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस हर मुमकिन कोशिश में जुटी है। पार्टी के बड़े नेताओं, विधायकों, पूर्व मंत्रियों को इस कार्य में झोंका गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि पार्टी को पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों से काफी उम्मीदें हैं।
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