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Uttarakhand में बिजली दर बढ़ाने पर कांग्रेस का प्रहार, कहा- 'खजाना खाली करने के बाद अब जनता से की जा रही वसूली'

Uttarakhand उत्तराखंड में मतदान संपन्न होने के बाद धामी सरकार ने जनता को महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका दिया। राज्य में बिजली की कीमतों में लगभग सात प्रतिशत तक उछाल आया है जिसका सीधा असर राज्य के 22 लाख उपभोक्ताओं पर होगा। बड़ा सवाल है कि प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई यह दरें इसी महीने बीती एक अप्रैल से लागू होंगी।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Nirmala Bohra Published: Sun, 28 Apr 2024 11:59 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 11:59 AM (IST)
खजाना खाली करने के बाद अब जनता से की जा रही वसूली: यशपाल आर्य

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में मतदान संपन्न होने के बाद धामी सरकार ने जनता को महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका दिया।

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खजाना खाली करने के बाद सरकार अब वसूली कर जनता पर चाबुक चला रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है। राज्य में बिजली की कीमतों में लगभग सात प्रतिशत तक उछाल आया है, जिसका सीधा असर राज्य के 22 लाख उपभोक्ताओं पर होगा। इतना ही नहीं सरकार ने उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्ज को भी बढ़ाया है, यानी उन पर दोहरी मार पड़ी है। बड़ा सवाल है कि प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई यह दरें इसी महीने बीती एक अप्रैल से लागू होंगी।

ऐसे में सवाल यह है कि यदि बिजली के दाम में बढ़ोतरी एक अप्रैल से लागू की गई है तो फिर एक अप्रैल से पहले ही इसकी घोषणा क्यों नहीं की गई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आयोग की मुहर के बाद घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 3.40 रुपये से 7.35 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ोत्तरी की गई है। इसके अलावा 100 यूनिट तक खर्च करने पर 3.40 रुपये प्रति यूनिट और 400 यूनिट से अधिक खर्च करने पर 7.35 रुपये प्रति यूनिट और फिक्स चार्ज भी 70 रुपये से बढ़कर 85 रुपये प्रति माह किया गया है।

पहले ही महंगाई की मार से आम आदमी त्रस्त है, वहीं बिजली बिल में भारी वृद्धि से घरों का बजट गड़बड़ाना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड दूसरे राज्यों को सस्ते दामों पर बिजली उपलब्ध करा रहा है, लेकिन अपने ही राज्य में डबल इंजन की सरकार सबसे महंगी बिजली उपभोक्ताओं को दे रही है। प्रदेश की जनता को अब डबल इंजन की सरकार का ऐसा विकास नहीं चाहिए, जिससे जनता की जेब पर सरकार रात-दिन डाका डालने का काम करे।

एक तरफ घटती आय व मांग की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है, वहीं प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं। कारोबारी व जनता, सब त्रस्त हैं। उत्तराखंड में बिजली दर बढऩे से निवेशक और दूर होगा। सरकार को पहले बिजली की गुणवत्तायुक्त आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। सरकार को बिजली की दरें बढ़ाने के निर्णय पर शीघ्र पुनर्विचार करना चाहिए।

बिजली दरों में वृद्धि वापस नहीं तो करेंगे

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर बिजली की दरों में वृद्धि वापस लेने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि जनहित में यह निर्णय तत्काल वापस नहीं हुआ तो कांग्रेस सड़कों पर उतर कर विरोध करेगी। पत्र में करन माहरा ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होते ही बिजली की दरों में वृद्धि कर दी। गरीब, किसान व आम जनता के लिए इससे कठिनाइयां बढ़ गई हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जनता को राहत देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार ने मतदान के बाद जनता पर महंगाई का बोझ डालना शुरू कर दिया है।


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