विवेकाधीन कोष: विपक्ष का अनदेखी का आरोप
मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाने वाली सहायता राशि को लेकर विपक्ष ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाने वाली सहायता राशि को लेकर विपक्ष ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया। विपक्षी विधायकों ने कहा कि सरकार इस मामले में भाजपा विधायकों के प्रस्तावों को तुरंत स्वीकृत कर रही है जबकि कांग्रेसी विधायकों के प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि सभी पात्र लोगों को कोष से सहायता दी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीति के चलते विवेकाधीन कोष में अब अधिक बोझ नहीं पड़ रहा है।
बुधवार को सदन में कांग्रेसी विधायक राजकुमार ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिलने वाली सहायता का मसला उठाया। इसका जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि विवेकाधीन कोष नियमावली के आधार पर पात्रता शर्त पूरा करने वालों को यह सहायता दी जाती है। इसके लिए पात्रता पाने वालों का वर्गीकरण किया गया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के रूप में वर्गीकरण कर रखा है। विपक्ष के विधायकों के प्रस्तावों पर नाम मात्र की सहायता दी जा रही है। वहीं, विधायक करण माहरा ने भी अपनी विधानसभा में अग्निकांड में पीड़ित परिवारों को मुआवजा न देने का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि एसडीएम की रिपोर्ट के बाद भी आर्थिक सहायता नहीं दी गई है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यदि ऐसा है तो इस प्रकरण को दिखा लिया जाएगा। उन्होंने जोड़ा कि उत्तराखंड अटल आयुष्मान योजना के बाद लोगों को इलाज के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी। विधानसभा अध्यक्ष को सराहा
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा विवेकाधीन कोष से सभी विधानसभा क्षेत्रों में पांच-पांच हजार रुपये दिए जाने पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जबकि विधानसभा अध्यक्ष के विवेकाधीन कोष से सभी विधायकों को बराबर राशि वितरित की गई।