कोरोना के मुद्दे पर कांग्रेस का सियासी दांव
कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से इसे लेकर सियासत से बचने का दावा करने वाली काग्रेस ने अब उत्तराखंड में इसी मुद्दे पर सियासत शुरू कर दी है। कोरोना के मद्देनजर केंद्र से लेकर राज्य तक के मुद्दों पर पार्टी अब सक्रिय हो गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से इसे लेकर सियासत से बचने का दावा करने वाली काग्रेस ने अब उत्तराखंड में इसी मुद्दे पर सियासत शुरू कर दी है। कोरोना के मद्देनजर केंद्र से लेकर राज्य तक के मुद्दों पर पार्टी अब सक्रिय हो गई है। इसी कड़ी में काग्रेस ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाधी के खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर को लेकर धरना दिया तो 'मोदी चालीसा' को लेकर प्रदेश भाजपा और सरकार को घेरने की कोशिश की। उधर, भाजपा भी लगातार काग्रेस पर तथ्यों व तर्को के आधार पर पलटवार करने का मौका नहीं चूक रही है। हालांकि, वह बचाव की मुद्रा में भी दिख रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में सूबे में सियासी पारा गर्माहट भरा रह सकता है।
उत्तराखंड में जब कोरोना की दस्तक हुई तो मुख्य विपक्ष काग्रेस ने सरकार का साथ दिया। विधानसभा के बजट सत्र का देहरादून में संपन्न हुआ चरण इसका उदाहरण है। साथ ही काग्रेस ने कोरोना से लड़ाई में सरकार को हरसंभव सहयोग देने का भरोसा भी दिलाया, मगर बाद में काग्रेस ने प्रवासियों का राग छेड़ कोरोना के मसले पर सियासत शुरू कर दी। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों को पार्टी ने निशाने पर लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। काग्रेस को लगा कि इस मसले को उछालकर वह अपनी खोई जमीन को हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सकेगी।
इस बीच सरकार ने सभी प्रवासियों को लाने का एलान कर दिया तो काग्रेस को यह दाव उलटा पड़ता दिखा। हालाकि, गाव लौट रहे प्रवासियों के स्वास्थ्य परीक्षण और उन्हें क्वारंटाइन के मसले पर काग्रेस ने राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, मगर इसमें उसका वह होमवर्क नजर नहीं आया जिसकी दरकार है। अब काग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ एफआइआर के मसले पर रविवार को धरने के माध्यम से काग्रेस ने केंद्र के साथ ही प्रदेश भाजपा व राज्य सरकार को घेरने की रणनीति अख्तियार की। भाजपा के एक प्रशसक की ओर से कोरोना से लड़ाई के मद्देनजर तैयार की गई 'मोदी चालीसा' और भाजपा के नेताओं द्वारा इसके विमोचन के मसले पर काग्रेस ने भाजपा को निशाने पर लिया। वहीं, भाजपा ने भी इन मुद्दों पर काग्रेस पर पलटवार करने में देर नहीं लगाई। हालांकि, मोदी चालीसा के विमोचन का कार्यक्रम पार्टी का नहीं था, मगर इसके लिए भाजपा को सफाई तो देनी ही पड़ रही है।