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एलोपैथिक दवा के अधिकार पर छिड़ी रार, जानिए क्या कहना है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत की ओर से आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवा लिखने का अधिकार दिए जाने की घोषणा को लेकर आयुर्वेद और एलोपैथिक चिकित्सक फिर आमने-सामने आ गए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष मंत्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 12:09 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 12:09 PM (IST)
एलोपैथिक दवा के अधिकार पर छिड़ी रार। प्रतीकात्मक फोटो

जागरण संवाददाता, देहरादून। आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत की ओर से आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवा लिखने का अधिकार दिए जाने की घोषणा को लेकर आयुर्वेद और एलोपैथिक चिकित्सक फिर आमने-सामने आ गए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष मंत्री के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही इस मसले पर कोर्ट जाने की भी चेतावनी दी है।

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आइएमए के प्रदेश महासचिव डा. अजय खन्ना ने कहा कि आयुष मंत्री ने जानकारी के अभाव में ऐसा बयान दिया है। वह जैसा कह रहे हैं वैसा संभव ही नहीं है। यदि सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की तो इसके परिणाम बुरे होंगे। इस तरह की मिक्सोपैथी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के सेक्शन 34 में साफ लिखा है कि एलोपैथी दवा केवल वही डाक्टर लिख सकते हैं, जो मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड होंगे।

सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में निर्णय दे चुका है और यह कदम सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी। मिक्सोपैथी से मरीजों को भी नुकसान होगा। जिन चिकित्सकों ने कभी एलोपैथ की पढ़ाई नहीं की, वो यह दवा कैसे लिख सकते हैं। इससे मरीजों की जान पर बन आएगी। इधर, आयुर्वेद चिकित्सकों ने आयुष मंत्री के बयान पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा और जिन स्थानों पर एलोपैथिक चिकित्सक जाने को तैयार नहीं होते वहां आयुर्वेद चिकित्सक एलोपैथी दवाओं का इस्तेमाल कर मरीजों को उपचार देंगे।

सीसीआइएम पहले ही आयुर्वेद चिकित्सकोंको सर्जरी का अधिकार देने का निर्णय ले चुकी है और अब यह निर्णय आयुर्वेद चिकित्सा के विकास में अहम फैसला साबित होगा। आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डा. हरदेव सिंह रावत ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवा लिखने का अधिकार देना एक सराहनीय कदम है। इससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ की जा सकेंगी और जन सामान्य को इसका लाभ मिलेगा। इस फैसले के बाद आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी एलोपैथिक दवाएं रखी जा सकेंगी। उन्होंने संगठन की ओर से मुख्यमंत्री व आयुष मंत्री का अभार व्यक्त किया है।

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