तिवारी के निधन पर शोक की लहर, श्रद्धांजलि
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के निधन पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों व विधायकों ने शोक प्रकट किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के निधन पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों व विधायकों ने शोक प्रकट किया है। सरकार ने उनके निधन पर प्रदेश में 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक का तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और कोई भी शासकीय मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।
गुरुवार को प्रदेश की प्रथम निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री रहे पंडित नारायण दत्त तिवारी के निधन पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने गहरा शोक प्रकट किया। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांत और शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है। अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा कि स्व. तिवारी एक लोकप्रिय जननेता और कुशल प्रशासक थे। उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. तिवारी का जाना उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है, विरोधी दल में होने के बावजूद दलगत राजनीति से ऊपर रहकर उन पर सदैव अपना स्नेह बनाए रखा। उनके जाने से राज्य में जो शून्य उभरा है, उसकी भरपाई करना मुश्किल है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के योगदान को कभी नहीं भूल पाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि स्व. तिवारी उनके बहुत करीबी थे। उनके निधन से देश और उत्तराखंड को बड़ी क्षति पहुंची है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि स्व. तिवारी ने उत्तराखंड के आर्थिक और औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभाई। भाजपा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, भाजपा राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रकाश पंत, डॉ. हरक सिंह रावत, मदन कौशिक, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, सुबोध उनियाल, राज्यमंत्री धन सिंह रावत व रेखा आर्य ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है। सभी ने स्व. तिवारी को जात-पात एवं दलगत राजनीति से हटकर कार्य करने वाले जुझारू व्यक्ति बताते हुए कहा कि वह प्रशासनिक तथा सांगठनिक क्षमताओं का कोष थे।