Move to Jagran APP

उत्पाद बेचकर प्लास्टिक वापसी में कंपनियों की दिलचस्पी नहीं, पढ़िए पूरी खबर

जिन भी कंपनियों के उत्पाद प्लास्टिक की पैकेजिंग में आ रहे हैं उन्हें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 के तहत अपने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 03:40 PM (IST)
उत्पाद बेचकर प्लास्टिक वापसी में कंपनियों की दिलचस्पी नहीं, पढ़िए पूरी खबर
उत्पाद बेचकर प्लास्टिक वापसी में कंपनियों की दिलचस्पी नहीं, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। जिन भी कंपनियों के उत्पाद प्लास्टिक की पैकेजिंग में आ रहे हैं, उन्हें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 के तहत अपने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। इससे पहले कंपनियों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण कराना होगा। हालांकि, उत्पादों की खपत के मामले में अव्वल देहरादून तक में इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा। यह स्थिति तब है, जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश की 10 नामी कंपनियों को नोटिस जारी कर चुका है। कुछ कंपनियों ने नोटिस के जवाब दिए हैं, मगर उनमें प्लास्टिक कचरे के निस्तारण व उत्पादों की आपूर्ति आदि की कोई भी जानकारी नहीं है।

loksabha election banner

ऐसे में अब बोर्ड ने कंपनियों के साथ शासन की मौजूदगी में साझा बैठक करने का निर्णय लिया है। बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि बैठक के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। विधानसभा सत्र के बाद यह बैठक आयोजित की जाएगी। सदस्य सचिव ने बताया कि अभी 10 ही नोटिस जारी किए गए हैं। फिलहाल और नोटिस जारी नहीं किए जाएंगे, क्योंकि नोटिस की कार्रवाई कंपनियों के वाजिब जवाब के बिना सिर्फ खानापूर्ति साबित हो रही है। लिहाजा, कंपनियों के साथ बैठक कर पूरी वस्तुस्थिति का पता किया जाएगा और देखा जाएगा कि उनके स्तर पर कुछ तैयारी की भी जा रही है या नहीं। इसके बाद ही नियमों की अनदेखी करने वाली कंपनियों पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

इन्हें जारी किया गया था नोटिस

  • कंपनी, जिस पते पर नोटिस भेजा
  • नेस्ले इंडिया लि., वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर (दिल्ली)
  • आइटीसी लि., नेहरू रोड कोलकाता
  • पारले प्रोडक्ट्स प्रा.लि., विले पारले ईस्ट मुंबई
  • हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्रा.लि., भंडारा रोड नागपुर
  • पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क, लक्सर हरिद्वार
  • ह‍िंदुस्तान कोका कोला बेवरेजेस प्रा. लि., हैदरपुर हरियाणा
  • पेप्सिको इंडिया लि., गुडग़ांव हरियाणा
  • बीकानेरवाला प्रा.लि., लॉरेंस रोड दिल्ली
  • बिसलेरी इंटरनेशनल प्रा.लि., अंधेरी (ईस्ट) मुंबई।
  • ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज प्रा.लि., महेदेवपुरा, बेंगलुरू

 13 जून को जारी आदेश का असर नहीं

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने 13 जून को कंपनियों को आदेश दिए थे कि उन्हें अपने वेस्ट प्लास्टिक के निस्तारण की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी। इसके लिए चाहे वह अपने स्तर पर निस्तारण करें या फिर स्थानीय निकायों को पैसे देकर अपने प्लास्टिक कचरे का निस्तारण कराएं।

आदेश में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 का हवाला देते हुए कहा गया था कि इसके लिए सबसे पहले संबंधित कंपनियों को बोर्ड में अपना पंजीकरण कराना होगा और यह भी बताना होगा कि उनके उत्पादों के जरिये कितना प्लास्टिक उत्तराखंड में पहुंच रहा है। इससे पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य स्तर पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 की समीक्षा भी की थी। जिसमें स्पष्ट हुआ कि किसी भी उत्पादक, आयातक व ब्रांड स्वामित्व वाली कंपनी ने अपने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण का इंतजाम नहीं किया है। दूसरी तरफ प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल में स्पष्ट किया गया है कि रूल के प्रख्यापित होने के अधिकतम एक साल के भीतर सभी कंपनियों को अपना एक्शन प्लान प्रस्तुत करना होगा। साथ ही अधिकतम दो साल के भीतर प्लास्टिक कचरे के निस्तारण को कहा गया था। यह व्यवस्था करना तो दूर कंपनियों ने अब तक पंजीकरण भी नहीं कराया है। जिससे यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि उत्पादों में कितना प्लास्टिक कचरा प्रदेश में पहुंच रहा है।

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दिया जा रहा हवाला

बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के मुताबिक जिन कंपनियों ने जवाब दिया है, उनमें से कुछ का कहना है कि उन्होंने पंजीकरण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में आवेदन किया है, जबकि कुछ ने इसी क्रम में अन्य प्रदेशों में प्लास्टिक निस्तारण की व्यवस्था निकट भविष्य में करने की जानकारी दी। हालांकि, किसी ने भी यह नहीं बताया है कि उनके उत्पादों के जरिये कितना प्लास्टिक प्रदेश में पहुंच रहा है।

जितना कचरा, उतना बोझ पड़ेगा

ऐसा नहीं है कि प्लास्टिक कचरे के लिए सभी कंपनियों को भारी-भरकम संसाधन जुटाने पड़ेंगे या राशि खर्च करनी पड़ेगी। जो कंपनी अपने उत्पाद में जितना प्लास्टिक प्रदेश में छोड़ रही हैं, उसे उसी अनुपात में बोझ सहन करना पड़ेगा।

अनियमितताओं पर छह दुकानों को नोटिस

विधिक माप विज्ञान (बाट-माप) विभाग ने चकराता रोड स्थित विभिन्न प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण किया। विभाग ने दुकानों में मिली अनियमितताओं के आधार पर छह दुकानों को नोटिस दिया। इसके अलावा उत्पादक कंपनियों को भी नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिसके बाद जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।

बुधवार को प्रभारी संयुक्त निदेशक कृष्णा कुमार के नेतृत्व में विभागीय टीम ने चकराता रोड स्थित विभिन्न प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया। वरिष्ठ निरीक्षक अमित कुमार सिंह ने बताया कि घंटाघर के पास स्थित मोबाइल हब में मोबाइल एक्सेसरी टेम्पर्ड ग्लास के पैक पर मूल्य, पैकिंग का माह वर्ष अंकित नहीं पाया गया। सैमसंग कंपनी के आयातित ट्रैवल एडेप्टर के पैक पर सूचनाएं निर्धारित आकार में अंकित नहीं मिली। वैल्यू प्लस रिटेल प्रा.लि. में जेबीएल स्पीकर्स के पैक पर सूचनाएं भी छोटे आकार में मिलीं। बताया कि अपोलो क्लीनिक में ब्लड प्रेशर मॉनीटर के पैक पर मूल्य अंकित करने के लिए अवैधानिक स्टीकर का प्रयोग किया पाया गया। 

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में 6000 उद्योगों पर बंदी की तलवार, एनजीटी ने दिए कार्रवाई के आदेश

इसके अलावा हॉट चिप्स में एसएसके ब्रांड के बनाना चिप्स के पैक पर मूल्य अंकित नहीं मिला। लिबर्टी एक्सक्लूसिव शोरूम में फुटवियर, बेल्ट और पॉलिश के पैकेजों पर साइज व अन्य सूचनाएं भी अवैधानिक पाई गई। इसके अलावा फैब इंडिया ओवरसीज प्रा. लि. में बॉडी लोसन के पैकेज पर नेट वॉल्यूम और आर्गेनिक सोयाबिन के पैक का वजन नियमानुसार नहीं मिला। बताया कि संबंधित वस्तुओं की कंपनियों को नोटिस भेजकर इसमें सुधार करने के साथ ही जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। जो 25 हजार से एक लाख रुपये तक हो सकता है। टीम में सहायक जसपाल भी शामिल रहे।

यह भी पढ़ें: फूड सेफ्टी में भी बिगड़ी उत्तराखंड की साख, प्रदर्शन में फिसड्डी; पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.