हिमालय को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी: प्राचार्य
चकराता बुधवार को हिमालय दिवस के मौके पर राजकीय महाविद्यालय त्यूणी में हिमालय संरक्षण की छात्र-छात्राओं को शपथ दिलाई गई। प्राचार्य प्रो अंजना श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए सभी को अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे।
संवाद सूत्र, चकराता: बुधवार को हिमालय दिवस के मौके पर राजकीय महाविद्यालय त्यूणी में हिमालय संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस दौरान प्राचार्य प्रोफेसर अंजना श्रीवास्तव ने कहा कि हिमालय को बचाने के लिए सभी को अपने स्तर से प्रयास तेज करने होंगे। जल व पर्यावरण संरक्षण के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं जा सकती। पहाड़ को हरा-भरा बनाने के लिए जल-जंगल को बचाना होगा। जंगलों के अत्याधिक दोहन से पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होगा, जिसके दूरगामी परिणाम बेहद घातक होंगे।
जौनसार-बावर के सीमांत राजकीय महाविद्यालय त्यूणी में प्राचार्य की अगुवाई में प्राध्यापकों व अन्य स्टाफ ने हिमालय दिवस पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। इस दौरान महाविद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने प्रदूषित हो रहे वातावरण को लेकर गहरी चिता प्रकट की। प्राचार्य प्रोफेसर अंजना श्रीवास्तव ने कहा पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में बेशकीमती वन संपदा को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरुरी है। कहा पहाड़ में जल-जंगल की सुरक्षा से हमें शुद्ध जलवायु, पेयजल, जीवन रक्षक औषधि के रुप में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां, पशुओं के लिए चारापत्ती, घर-मकान बनाने के लिए इमारती लकड़ी व सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने को जलौनी लकड़ी मिलती है। कहा हिमालय को बचाने के लिए जल-जंगल की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। इससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी। इस नेक कार्य के लिए समाज के हर व्यक्ति को अपने स्तर से प्रयास तेज करने होंगे। जिससे भविष्य में किसी प्रकार की चुनौती से निपटा जा सके। कहा पर्यावरण संतुलन के लिए पहाड़ों का संरक्षण समय की मांग है। सभी को अपने आसपास का वातावरण हरा-भरा बनाने को ज्यादा से ज्यादा पौधे-पेड़ लगाकर उसकी देखभाल भी करनी होगी। इससे समाज में खुशहाली आएगी। इस दौरान मंजू गौतम, चमन कुमार, डा. मीनाक्षी कश्यप, डा. राजेश कुमार, डा. आशीष बिजल्वाण, सचिन शर्मा, खुशीराम, डॉ. सतीश चंद्र, अजय वर्मा, संदीप तोमर, सुनील कुमार, मनीष, हुकम सिंह, रविंद्र आदि मौजूद रहे।