राज्य में प्रतिदिन बन रहे 35 हजार गोल्डन कार्ड
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ¨सह रावत ने कहा कि अटल आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड की अद्यतन रिपोर्ट प्रतिदिन अधिकारियों से ली जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में सोमवार की शाम तक चार लाख 46000 गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। वर्तमान में औसतन 35 हजार गोल्डन कार्ड प्रतिदिन बनाए जा रहे हैं। सभी जिला अधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि अटल आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्डों की साप्ताहिक समीक्षा की जाए। लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनवाने में प्रो एक्टिव एप्रोच के साथ काम किया जाए।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ¨सह रावत ने कहा कि अटल आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड की अद्यतन रिपोर्ट प्रतिदिन अधिकारियों से ली जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में सोमवार की शाम तक चार लाख 46000 गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। वर्तमान में औसतन 35 हजार गोल्डन कार्ड प्रतिदिन बनाए जा रहे हैं। सभी जिला अधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि अटल आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्डों की साप्ताहिक समीक्षा की जाए। लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनवाने में प्रो एक्टिव एप्रोच के साथ काम किया जाए।
मंगलवार को पूर्व मंत्री स्व. राजेंद्र शाह की पुण्यतिथि पर रौनापुर रानीपोखरी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अटल आयुष्मान योजना के तहत इलाज का व्यय सीधा अस्पतालों को भुगतान कर रही है। इसलिए सभी अस्पताल योजना में सकारात्मक सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर पर भी मात्र तीस रुपये का शुल्क देकर गोल्डन कार्ड बनाए जा सकते हैं, जबकि सूचीबद्ध अस्पतालों में आरोग्य मित्रों की सहायता से यह निश्शुल्क बनाए जा रहे हैं।
हरिद्वार में जल्द होगी वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ¨सह रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार राज्य के शहरों में होने वाले ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक निपटान व प्रबंधन पर गंभीरता से कार्य कर रही है। हरिद्वार में जल्द ही कूड़े से फ्यूल उत्पादन के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित करने के लिए भूमि चिह्नित करने का कार्य किया जा रहा है। अपशिष्ट पदार्थों एविएशन फ्यूल बनाने की तकनीक नीदरलैंड से आयात की जा चुकी है। वेस्ट टू एनर्जी प्लाट से शहरों के ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक व पर्यावरणीय हित में निपटान होने के साथ ही एविएशन फ्यूल उत्पादन होगा और युवाओं के लिए रोजगार के नए विकल्प खुलेंगे।