देहरादून आपदा : कई संपर्क मार्ग हुए तबाह, एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के लिए आपदाग्रस्त क्षेत्रों में काम करना चुनौती
Cloud Burst in Dehradun आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती है। एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के जवानों को खुद ही मलबा हटाकर वैकल्पिक रास्ते बनाने पड़ रहे हैं। सबसे बड़ी चुनौती घंतू का सेरा गांव में सामने आ रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : Cloudburst in Dehradun : सरखेत, घंतू का सेरा समेत अन्य गांव के संपर्क मार्ग आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। ऐसे में आपदाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती है। वहां तक जेसीबी तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के जवानों को खुद ही मलबा हटाकर वैकल्पिक रास्ते बनाने पड़ रहे हैं।
घटना के दूसरे दिन बाद भी एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें मलबे में दबे ग्रामीणों को बाहर नहीं निकाल पाई है। रविवार को जवानों ने जगह-जगह फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया और कुछ जगहों पर वैकल्पिक मार्ग बनाने शुरू किए हैं।
सबसे बड़ी चुनौती घंतू का सेरा गांव में सामने आ रही है। सरखेत से आठ किलोमीटर पैदल दूरी तय करके घंतू का सेरा तक पहुंचना पड़ रहा है। यहां गांव में बिजली भी उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते राहत एवं बचाव कार्य भी शाम पांच बजे तक ही चल पा रहे हैं।
डीजीपी ने किया आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा
रविवार को पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल, पुलिस उपमहानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र करन सिंह नगन्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर के साथ कुमाल्डा, सरखेत, मालदेवता व उसके आसपास आपदा प्रभावित क्षेत्रों को स्थलीय निरीक्षण किया।
इस दौरान उन्होंने स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के बचाव कार्य व रिलीफ कार्यों का अवलोकन किया। साथ ही ग्रमीणों के लिए जल्द से जल्द वैकल्पिक संपर्क मार्ग तैयार करने और लापता चल रहे व्यक्तियों की निरंतर तलाश के लिए भी एसडीआरएफ को निर्देश दिए।
सौंग नदी में उतारी तीन पोकलैंड मशीनें, धारा मोड़ने का प्रयास
सौंग नदी के उफान से थानों रोड पर सौड़ा सरोली पुल की एप्रोच रोड बह जाने से इस मार्ग पर आवाजाही ठप चल रही है। यातायात के लिहाज से अहम इस सड़क को बहाल करने के लिए लोनिवि की मशीनरी जुट हुई है। नदी के उफान पर होने से इस काम में कई चुनौती सामने आ रही है। एप्रोच को दोबारा खड़ा करने के लिए अधिकारी नदी की धारा मोड़ने में जुटे हैं। देर रात लोनिवि के विभागाध्यक्ष अयाज अहमद ने भी यहां पर मोर्चा संभाल लिया था।
प्रमुख अभियंता अयाज अहमद ने बताया कि नदी की धारा मोड़ने के लिए नदी में तीन पोकलैंड मशीनों को उतारा गया है। उन्होंने बताया कि इसके साथ कि एप्रोच रोड को दोबारा खड़ा करने के लिए पत्थरों की दीवार बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। वहीं, दीवार को सुदृढ करने के लिए हरिद्वार खंड से लोहे के क्रेट मंगाए गए हैं। अस्थायी खंड ऋषिकेश के अधिशासी अभियंता धीरेंद्र कुमार के मुताबिक नदी की धारा को 50 प्रतिशत तक मोड़ दिया गया है।
सोमवार तक बाकी का काम भी पूरा कर दिया जाएगा। इस दौरान मुख्य अभियंता सीएम पांडे, अधीक्षण अभियंता एसके गर्ग आदि भी मौके पर उपस्थित रहे। उधर, मालदेवता बाजार के पास के पुल की क्षतिग्रस्त एप्रोच रोड को दुरुस्त करने के लिए भी अभियंताओं की एक अलग टीम काम कर रही है।
बताया जा रहा है कि दोनों पुल की एप्रोच रोड को एक सप्ताह के भीतर दुरुस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा जिले के विभिन्न अन्य क्षतिग्रस्त मार्गों को भी दुरुस्त करने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। वर्तमान में जिले में कुल 30 मार्ग बाधित चल रहे हैं।
बाढ़ का एक झटका भी न झेल पाया करोडों से बना तटबंध
रायवाला के गौहरीमाफी गांव की बाढ़ से सुरक्षा के लिए सौंग नदी किनारे 9.65 करोड़ की लागत से करीब दो माह पूर्व सीसी तटबंध बना। तटबंध की गुणवत्ता को लेकर दावे किए जा रहे थे कि आगामी 20 वर्ष तक गांव को बाढ़ से कोई खतरा नहीं रहेगा। लेकिन शनिवार तड़के आई बाढ़ ने तटबंध की गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी।
एक ही झटके में ही कई सीसी ब्लाक टूटकर नदी में समा गए। कई तार जाल भी नदी में बह गए। यहां बना सिंचाई नहर के हेड का एक हिस्सा भी टूट गया, जिससे बाढ़ का पानी गांव में घुसा और कई घर जलमग्न हो गए। हालांकि कुछ घंटे बाद ही जलस्तर घटने से बड़ा खतरा टल गया, मगर आने वाले दिनों में गौहरीमाफी पर फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। रविवार को सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने क्षतिग्रस्त तटबंध का जायजा लिया।