ट्रैक्टर ट्रॉली टेंडर मामले में ठेकेदार को क्लीन चिट, सिंडिकेट बनाकर घपले का लगा था आरोप
निगम में अगस्त में हुए कूड़ा उठान के ट्रैक्टर ट्रॉली के टेंडर में लगे घोटाले के आरोपों में जांच के बाद ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी गई है। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए बताया कि टेंडर में कोई अनियमितता सामने नहीं आई।
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में अगस्त में हुए कूड़ा उठान के ट्रैक्टर ट्रॉली के टेंडर में लगे घोटाले के आरोपों में जांच के बाद ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी गई है। शनिवार को नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए बताया कि टेंडर में किसी तरह की अनियमितता सामने नहीं आई है। इस मामले में सितंबर में हुई कार्यकारिणी बैठक में पार्षद भूपेंद्र कठैत ने भाजपा और कांग्रेस के कुछ पार्षदों पर सिंडिकेट बनाकर घपले का आरोप लगाया था। महापौर सुनील उनियाल गामा ने नगर आयुक्त को जांच कराने के आदेश दिए थे। उप नगर आयुक्त द्वारा की गई जांच में टेंडर प्रक्रिया समेत अन्य आरोपों को बेबुनियाद बताया गया है।
नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि नए टेंडर में 30 ट्रैक्टर ट्रॉली ही लगाई गई हैं, जबकि आरोप यह थे कि 45 ट्रैक्टर ट्रॉली लगाकर 30 का संचालन किया जा रहा। उन्होंने बताया कि भुगतान में अनियमितता के आरोप लगाए गए थे, जबकि अब तक निगम ने कोई भुगतान ही नहीं किया है। उन्होंने बताया कि पिछले टेंडर की तुलना में संबंधित ठेकेदार ने इस बार 30 प्रतिशत कम रेट डाले थे। जिसकी वजह से निगम को हानि नहीं, बल्कि दो करोड़ रुपए सालाना का लाभ होगा।
बता दें कि सितंबर में हुई कार्यकारिणी बैठक में पार्षद भूपेंद्र कठैत ने ट्रैक्टर ट्राली संचालन का रिकॉर्ड रखते हुए आरोप लगाया था कि अनुबंध के अनुसार ट्रैक्टर ट्रॉली संचालित नहीं हो रहे। आरोप था कि कुछ पार्षदों ने सिंडिकेट बनाकर डमी ठेकेदार को सामने खड़ा कर ट्रैक्टर ट्रॉली का टेंडर हासिल किया। आरोप था कि निगम ने 45 ट्रैक्टर ट्रॉली का अनुबंध किया था, जिनमें से सिर्फ 30 ही संचालित की जा रहीं। इनके प्रतिदिन फेरों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि चार फेरों की जगह दो ही फेरे लगाए जा रहे। भुगतान चार फेरे के हिसाब से होने का आरोप था। ट्रैक्टर ट्राली के साइज में भी हेराफेरी का आरोप था।
जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर आयुक्त ने बताया कि ट्रॉली मानक के अनुरूप पाई गई हैं। उन्होंने बताया कि ट्रैक्टर ट्रॉली रोजाना कितने फेरे लगा रही है, इसकी रिपोर्ट निगम के सफाई इंस्पेक्टर और सुपरवाइजर की ओर से दी जाती है। इसी रिपोर्ट के आधार पर भुगतान किया जाता है। अगर फेरों की संख्या कम होगी तो उसी के अनुसार कटौती कर भुगतान भी किया जाएगा। नगर आयुक्त ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में पार्षदों के सिंडिकेट जैसा कोई आरोप जांच रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ है।
महापौर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि कूड़ा उठान की ट्रैक्टर ट्रॉली के टेंडर और इसके संचालन में अनियमितता के जो आरोप लगे थे, उनकी विभागीय जांच कराई गई थी। निगम प्रशाशन और ठेकेदार द्वारा किसी भी तरह की अनियमितता सामने नहीं आई है। जांच रिपोर्ट में सिंडिकेट जैसी कोई बात साबित नहीं हुई है।
वहीं, ठेकेदार राम विलास का कहना है कि मुझ पर लगाए गए सभी आरोप गलत साबित हुए हैं। पिछली बार जो टेंडर हुए थे, उसके मुकाबले मैंने काफी कम दरों पर टेंडर लिया है। इसमें भाजपा पार्षदों की संलिप्तता के आरोप लगाए जा रहे थे, जबकि जांच में टेंडर में पार्षदों की कोई भूमिका नहीं पाई गई है।
यह भी पढ़ें: Siddcul Scam: आइजी अभिनव ने जताई नाराजगी, कहा- एक माह में पूरी हो सिडकुल घोटाले की जांच