बच्चों के लिए गंभीर हुआ प्रदूषण का स्तर
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं जल प्रदूषण में तेजी से वृद्धि
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण में तेजी से वृद्धि हो रही है। प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। ये स्थिति उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में उजागर हुई है। रिपोर्ट की मानें तो 15 से 20 फीसद बच्चे प्रदूषण के कारण बीमार पड़ रहे हैं। इनमें खांसी, श्वास, एलर्जी, दमा, डायरिया समेत अनेकों बीमारियां शामिल हैं। साथ ही ध्वनि प्रदूषण से मानव स्वभाव में तनाव समेत कई नकारात्मक बदलाव आने की संभावना जताई है। आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को पत्र भेजा है।
उन्होंने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फरवरी 2018 तक के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, रुद्रपुर, ऋषिकेश, हल्द्वानी में प्रदूषण उच्च स्तर पर पहुंच रहा है। वायु, ध्वनि एवं जल प्रदूषण में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका बच्चों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आयोग ने स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी का हवाला देते हुए बताया है कि अस्पतालों में पहुंचने वाले बच्चों में 15 से 20 फीसद बच्चे प्रदूषण से प्रभावित हैं। उन्होंने मुख्य सचिव से बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में ठोस एवं प्रभावी कार्ययोजना बनाने व सख्ती से क्रियान्वयन को कहा है। ये है रिपोर्ट
रिपोर्ट में बताया है कि देहरादून के आइएसबीटी, घंटाघर के समीप वायु प्रदूषण पार्टिकुलेट मैटर-10 में 201.47 से 244 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पाया गया है। जबकि अधिकतम मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। ध्वनि प्रदूषण के मानकों का भी उल्लंघन हो रहा है। इसमें अधिकतम मानक 40 व 50 डेसिबल होना चाहिए, जबकि यहां 65.46 डेसिबल पाया है। जल प्रदूषण में गरीब बस्तियों में पेयजल को पीने योग्य नहीं माना है। ये होते हैं रोग
वायु प्रदूषण- खांसी, श्वास, दमा, एलर्जी।
जल प्रदूषण- डायरिया, टाइफाइड, पीलिया।
ध्वनि प्रदूषण- मानसिक रोग जैसे नींद पूरी न होना, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, बहरापन।