सरकारी अस्पताल दुरुस्त, नवजात रहेंगे तंदरुस्त, चाइल्ड लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम को किया जा रहा है अपग्रेड
जन स्वास्थ्य के लिहाज से साल 2021 में अच्छे संकेत मिल रहे हैं। देहरादून जनपद की ही बात करें तो यहां चाइल्ड लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। इससे सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं को उपचार की आधुनिक सुविधा मिलेगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून। जन स्वास्थ्य के लिहाज से साल 2021 में अच्छे संकेत मिल रहे हैं। देहरादून जनपद की ही बात करें तो यहां चाइल्ड लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। इससे सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं को उपचार की आधुनिक सुविधा मिलेगी।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में शिशु मृत्युदर के आंकड़े में अपेक्षाकृत कमी नहीं आ पाई है। प्रसव के उपरांत खासकर समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं की तबीयत खराब होने पर उन्हें तत्काल लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है। ऐसा होने पर सरकारी अस्पतालों से शिशुओं को अन्यत्र रेफर किया जाता है। इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास करता रहा है। अब कोरोनाकाल में इस सिस्टम को सुदृढ़ करने का विभाग को एक अच्छा मौका मिला है।
गांधी अस्पताल में बना निक्कू वार्ड
राजकीय जिला गांधी शताब्दी अस्पताल में नियोटल इंटेंसिव केयर यूनिट (निक्कू) वार्ड जल्द ही शुरू हो जाएगा। दून अस्पताल को कोविड हॉस्पिटल बनाए जाने के बाद गर्भवती महिलाओं का इलाज और प्रसव यहीं किया जा रहा था। नवजातों के गंभीर स्थिति में होने पर उन्हें निक्कू वार्ड में रखने की जरूरत पड़ती है। इससे पहले सिर्फ दून महिला अस्पताल में ही निक्कू वार्ड था, पर सीमित संसाधन होने के कारण वहां से भी कई बार नवजात को इलाज के लिए रेफर करना पड़ता था।
तीमारदारों के लिए दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बनाया जाएगा रैन बसेरा
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीमारदारों के लिए रैन बसेरे का निर्माण किया जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। रैन बसेरा बन जाने के बाद दूरदराज से आने वाले तीमारदारों को रात गुजारने के लिए यहां-वहां नहीं भटकना पड़ेगा। प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में न केवल शहर, बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। कई बार यहां पहुंचते उन्हें बहुत देर हो जाती है। या फिर जांच आदि कराते काफी वक्त बीत जाता है। ऐसे में वापस लौटने की गुंजाइश नहीं रहती। ऐसे में इनकी सहूलियत के लिए अस्पताल प्रशासन रैन बसेरा के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि रैन बसेरा का निर्माण इमरजेंसी के सामने किया जाएगा। यहां पार्किंग के ऊपर प्रथम तल पर महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग शयनगृह तैयार किए जाएंगे। इस काम के लिए हंस फाउंडेशन से मदद ली जाएगी। उन्होंने बताया कि कुछ वक्त पहले ये कवायद शुरू की गई थी, पर कोरोना के चलते इस पर ब्रेक लग गया। पर उम्मीद की जानी चाहिए कि योजना अब जल्द परवान चढ़ेगी। अच्छी बात ये है कि पास ही स्मार्ट टॉयलेट का भी निर्माण हो चुका है।
आठ बेड का पीडिया आइसीयू तैयार, निक्कू वार्ड भी अपग्रेड
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी तक आइसीयू बेड की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा वाली स्थिति में थी। यहां महज पांच आइसीयू बेड थे, जो अक्सर फुल रहते थे। अब न केवल आइसीयू बेड की क्षमता बढ़कर तकरीबन 100 हो गई है, बल्कि बच्चों के लिए आठ बेड का पीडिया आइसीयू अलग से तैयार किया गया है। इसके अलावा निक्कू वार्ड को अपग्रेड करने के लिए भी साजो सामान जुटाया गया है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार विस्तार किया जा रहा है। जिससे किसी भी नवजात को रेफर करने की नौबत न आए।
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