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डी फार्मा की परीक्षा में ये कैसा झोलझाल, एक साथ मिल छात्र कर रहे नकल

हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च में डी फार्मा की परीक्षा में छात्र नकल करते हुए पाए गए। नकल सामग्री इंस्टीट्यूट के निदेशक, केंद्र व्यवस्थापक ने मुहैया कराई थी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 04:02 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 05:12 PM (IST)
डी फार्मा की परीक्षा में ये कैसा झोलझाल, एक साथ मिल छात्र कर रहे नकल

विकासनगर, [जेएनएन]: जिला प्रशासन ने राजावाला (भाऊवाला) में संचालित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च में डी फार्मा की परीक्षा में सामूहिक नकल पकड़ी। यहां परीक्षा दे रहे सभी 47 परीक्षार्थी खुले तौर पर नकल कर रहे थे, उन्हें प्रश्नों के उत्तर की फोटो कॉपी थमाई गई थी। आश्चर्यजनक यह कि नकल सामग्री इंस्टीट्यूट के निदेशक और केंद्र व्यवस्थापक ने ही मुहैया कराई थी। 

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छापे के बाद एसडीएम जितेंद्र कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया कि इंस्टीट्यूट ने छात्रों से दाखिले के वक्त ही पास कराने का ठेका ले लिया था। प्रशासन ने निदेशक और केंद्र व्यवस्थापक और नकल करते पकड़े गए सभी परीक्षार्थियों समेत 56 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। 

हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च में मंगलवार को डी फार्मा की परीक्षा चल रही थी। कुल पंजीकृत परीक्षार्थियों में से तीन के अनुपस्थित होने के चलते 47 छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रही थे। इन्हें दो कमरों में बैठाया गया था। इस बीच, प्रशासन को यहां खुलेआम नकल कराए जाने की शिकायत मिली। इस पर एसडीएम जितेंद्र कुमार ने सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौर ने इंस्टीटयूट में छापा मारा। वहां का नजारा देखकर वह हैरान रह गए। 

केंद्र व्यवस्थापक व अन्य स्टाफ परीक्षार्थियों को खुलेआम नकल कराते पाया गया। वे परीक्षार्थियों को प्रश्नों के उत्तर फोटोकापी करके उपलब्ध करा रहे थे। छापे में एसडीएम ने सभी 47 परीक्षार्थियों से नकल सामग्री पकड़ीं। उनकी कॉपियों में उत्तरों का मिलान किया तो सभी के एक जैसे उत्तर लिखे मिले। 

एसडीएम ने मौके पर ही सभी परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं, प्रश्नपत्र, नकल सामग्री के साथ ही दो फोटोस्टेट मशीन व अन्य दस्तावेज सीज करा दिए। थानाध्यक्ष की तहरीर पर 47 छात्र छात्राओं के साथ ही इंस्टीट्यूट की निदेशक दिव्या जुयाल पत्नी विजय जुयाल निवासी अलकनंदा एन्क्लेव जोगीवाला देहरादून, केंद्र प्रभारी अनूप सचान पुत्र पलटू सिंह निवासी बमहोरी थाना सढोली कानपुर नगर हाल निवासी बल्लीवाला देहरादून, चालक दिवाकर सेमवाल पुत्र दाताराम सेमवाल निवासी नथुवावाला रायपुर देहरादून के अलावा पर्यवेक्षक दीपेंद्र भंडारी, कक्ष निरीक्षक रीता सैनी, वाणिमिलाप तिवारी, आशा, पूनम सिंह और अमित कुमार के खिलाफ परीक्षा में अनैतिक साधनों का प्रयोग करने का मामला दर्ज किया गया है। 

उधर, उत्तराखंड तकनीकि विवि के कुलसचिव डा. अनीता रावत ने कहा कि संबंधित संस्थान की संबद्धता यूटीयू से नहीं है। जानकारी मिली है कि संस्थान डिप्लोमा कोर्स करवाता है। इस संस्थान से विवि का कोई लेना-देना नहीं है। 

ज्यादातर बच्चे बाहर के 

एसडीएम जितेंद्र कुमार के अनुसार परीक्षा देने वालों में ज्यादातर दूसरे राज्यों के हैं। जांच पड़ताल में सामने आया कि इनसे दाखिले के वक्त ही परीक्षा में नकल कराने का ठेका हो गया था। जांच में आया कि छात्र-छात्राओं बताया गया कि एडमिशन कराने के बाद उन्हें कालेज आने की जरूरत नहीं है, सिर्फ परीक्षा देने ही आना है। नकल कराने में इंस्टीटयूट निदेशक अन्य स्टाफ की संलिप्ता सामने आई है। उन्होंने बताया कि मामले की विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा रही है। 

परीक्षा के दौरान चालक करता था चौकीदारी 

संस्थान छात्रों को नकल कराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाता था। परीक्षा के दौरान चालक दिवाकर सेमवाल को चौकीदार बनाकर गेट पर तैनात कर दिया जाता था, जो किसी के भी वहां आने की सूचना सीधे निदेशक को देता था। इसके अलावा परीक्षा कक्षों में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी बंद कर दिया गया था। 

जिस समय विकासनगर एसडीएम जितेंद्र कुमार व सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौड़ मौके पर पहुंचे तो वहां डीफार्मा का पेपर चल रहा था।

कमरा नंबर 102 में 22 व कमरा नंबर 103 में 25 छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रहे थे। एसडीएम ने सभी के पास से नकल पर्ची पकड़ी। थानाध्यक्ष नरेश राठौड़ ने बताया कि निदेशक द्वारा चालक दिवाकर सेमवाल को परीक्षा केंद्र से कुछ दूरी पर निगरानी के लिए खड़ा किया जाता था, ताकि परीक्षा के दौरान यदि कोई अपरिचित व्यक्ति या किसी अधिकारी की गाड़ी आती दिखाई दे तो तुरंत प्रबंधन को सूचना दे। शिक्षक प्रश्नों के उत्तर फोटोकापी कर सब छात्र-छात्राओं को मुहैया कराते थे। इस इंस्टीटयूट में 14 मई से परीक्षा चल रही है। 

एसडीएम जितेंद्र कुमार को सूचना मिली थी कि उक्त संस्थान में बड़े पैमाने पर नकल चल रही है, जिसके बाद एसडीएम व थानाध्यक्ष सहसपुर ने नकल पकड़ने की रणनीति बनाई। मंगलवार को कार्रवाई के दौरान पुलिस ने पहले चालक को पकड़ा, उसके बाद इंस्टीटयूट में छापेमारी की गई। परीक्षा केंद्र निरीक्षक अनूप सचान समेत परीक्षा कराने वाले सभी शिक्षक नकल कराने में संलिप्त पाए गए। पुलिस ने निदेशक समेत मैनेजमेंट के नौ लोगों व 47 छात्र-छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई की। 

उधर, संस्थान डायरेक्टर दिव्या ने सफाई दी कि हमारे यहां परीक्षाएं चल रही थीं,  जिसकी जानकारी वह पुलिस को देने ही वाली थीं कि मंगलवार को छापेमारी की कार्रवाई में नकल पकड़ी गई। थानाध्यक्ष नरेश राठौड़ के अनुसार, पुलिस ने रिकॉर्ड रूम से सिस्टम को सील कर दिया है। 

कई संस्थानों में चल रहा डिग्री का कारोबार 

भाऊवाला स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च की तरह प्रदेश में कई अन्य संस्थानों में भी दाखिले से लेकर परीक्षा पास करवाने तक का बकायदा ठेका होता है। 

इस पूरे फर्जीवाड़े में न केवल संस्थान के कर्मचारी व अधिकारी संलिप्त होते हैं वरन, सरकारी अधिकारियों की भी इन्हें शह होती है। हिमालयन इंस्टीट्यूट का फर्जीवाड़ा तो सामने आ गया लेकिन, कई संस्थान आज भी डिग्रियों के गोरखधंधे को धड़ल्ले से संचालित कर रहे हैं। दन संस्थानों को मान्यता देने वाले विश्वविद्यालय इनपर अपने स्तर पर कार्रवाई नहीं करते हैं।     

जानकारी के अनुसार हिमालयन इंस्टीट्यूट में एडमिशन के समय ही नकल का ठेका हो चुका था। उपजिलाधिकारी विकासनगर जितेंद्र कुमार के अनुसार संस्थान में ज्यादातर बच्चे बाहरी राज्यों के हैं, जिनसे एडमिशन के समय ही परीक्षा में नकल कराने का ठेका हो गया था। जांच में यह भी सामने आया कि छात्र-छात्राओं को एडमिशन कराने के बाद कालेज आने की जरूरत ही नहीं है, सिर्फ परीक्षा देने ही आने का उन्हें प्रबंधन की ओर से आश्वासन मिला था। परीक्षा में नकल कराने में इंस्टीट्यूट निदेशक समेत अन्य सभी संबंधित अधिकारियों व शिक्षकों की संलिप्तता सामने आयी है। इस संबंध में की गई कार्रवाई से जिलाधिकारी को अवगत कराया गया है, साथ ही इंस्टीट्यूट के खिलाफ डीएम को रिपोर्ट भी भेजी जा रही है। डिग्री फर्जीवाड़े में कौन-कौन अन्य लोग शामिल हैं। इसकी भी जांच की जाएगी। 

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