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Uttarakhand Tourism: लॉकडाउन के बाद पर्यटकों ने तोड़ा चौरासी कुटी का सन्नाटा, जानें- क्यों प्रसिद्ध है ये जगह

Uttarakhand Tourism चौरासी कुटी भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। कोरोना काल में सात माह तक चौरासी कुटी में भी गतिविधियां बंद रही लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया में चौरासी कुटी को खोले जाने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटकों ने यहां का रुख किया है।

By Edited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 03:41 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 10:06 AM (IST)
Uttarakhand Tourism: लॉकडाउन के बाद पर्यटकों ने तोड़ा चौरासी कुटी का सन्नाटा, जानें- क्यों प्रसिद्ध है ये जगह
Uttarakhand Tourism: लॉकडाउन के बाद पर्यटकों ने तोड़ा चौरासी कुटी का सन्नाटा।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Uttarakhand Tourism एशियाई हाथी, टाइगर और जैव विविधता के लिए पहचान रखने वाले राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज में स्थित चौरासी कुटी भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। कोरोना काल में सात माह तक चौरासी कुटी में भी गतिविधियां बंद रही, लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया में चौरासी कुटी को खोले जाने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटकों ने यहां का रुख किया है। भावातीत ध्यान योग के प्रणेता और महान योगी महर्षि महेश योगी ने वर्ष 1960 के आसपास ऋषिकेश में गंगा के बायें ओर स्वर्गाश्रम क्षेत्र में शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी, जिसे बाद में चौरासी कुटी के नाम से विश्व भर में पहचान मिली। 

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साल 1967 से 1968 के बीच अमेरिका के प्रसिद्ध रॉक म्यूजिक बैंड बीटल्स के चार सदस्य जॉन लेनॉन, पाल मेकार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार यहां आए थे। यहां रहते हुए इस मशहूर म्यूजिक बैंड कई गीतों तथा यादगार धुनों की रचना की। जिसके बाद चौरासी कुटिया की ख्याति पूरी दुनिया में फैल गई और विदेशों से बड़ी संख्या में पर्यटक योग और ध्यान सीखने के लिए यहां आने लगे। इसी दौर में ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में विश्व पटल पर एक नई पहचान मिली। 1982 में राजाजी पार्क की स्थापना के बाद शंकराचार्य नगर, पार्क के अधीन आ गया।
इसके बाद यहां तमाम गतिविधियां धीरे-धीरे बंद हो गई। लंबे अरसे तक यह स्थान वीरान रहा, लेकिन इस धरोहर के प्रति देश-विदेश के पर्यटकों का आकर्षण कम नहीं हुआ। आखिरकार वन विभाग ने करीब 35 वर्ष तक वीरान रही इस धरोहर को वर्ष 2015 में पर्यटकों के लिए खोल दिया। चौरासी कुटी के खुलने के बाद से ही यहां पर्यटकों की आमद बढ़ने शुरू हो गई। आज चौरासी कुटी, राजाजी टाइगर रिजर्व की आमदनी का बड़ा स्त्रोत बन गई है। 
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते 13 मार्च को देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन के साथ चौरासी कुटी में भी पर्यटक गतिविधियां बंद हो गई थी। सात माह बाद 16 अक्टूबर को चौरासी कुटी को पुन: पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। इसके बाद पर्यटकों की आमद यहां शुरू हो गई थी, जो निरंतर जारी है। अब तक 8840 भारतीय और 48 विदेशी पर्यटक यहां घूमने के लिए आ चुके हैं, जिनसे कुल सात लाख 48 हजार 10 रुपये का राजस्व भी राजाजी टाइगर रिजर्व की झोली में आया है। 
विदेशी पर्यटकों की आमद कम 
चौरासी कुटी में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक महर्षि महेश योगी तथा बीटल्स ग्रुप से जुड़ी यादों को महसूस करने के लिए यहां आते हैं। विदेशी पर्यटकों से शुल्क के रूप में खासी आमदनी भी प्राप्त होती है। मगर, कोरोना संकट के कारण अभी विदेशी पर्यटक भारत नहीं आ रहे हैं। जिससे यहां भी विदेशी पर्यटकों की आमद अभी तक बेहद कम हुई है।
16 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2020 तक चौरासी कुटी पहुंचे पर्यटक 
श्रेणी, संख्या, आय 
वयस्क, 6360, 5,54,000 
वरिष्ठ नागरिक, 1310, 98,250 
विद्यार्थी, 1170, 66,960 
विदेशी, 48, 28,800
कुल, 8888, 7,48,010
गौहरी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी धीर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद चौरासी कुटी में पर्यटकों की आमद में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, अभी विदेशी पर्यटकों की संख्या नाममात्र की है, लेकिन भारतीय पर्यटकों की संख्या कोरोना संक्रमण काल के लिहाज से बेहतर है। चौरासी कुटी में पर्यटकों की सुविधा के लिए भी सभी इंतजाम किए गए हैं। 

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