असल चुनौती तो अब है सरकार
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन की स्थिति और इसके कारण सामने आने के बाद सरकार के सामने असल चुनौती अब है।
By Edited By: Published: Sun, 06 May 2018 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 04:58 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन की स्थिति और इसके कारण सामने आने के बाद सरकार के सामने असल चुनौती अब है। चिंताजनक ये है कि वर्ष 2011 के बाद गुजरे सात सालों में ही प्रदेश में पलायन के चलते 734 गांव गैर आबाद हो गए। वीरान हो चुके इन गांवों को फिर से आबाद करने के साथ ही अन्य जिलों में मूलभूत सुविधाएं और खाली हाथों को काम मुहैया कराने की सबसे बड़ी चुनौती है। आयोग की रिपोर्ट बताती है कि पांच पर्वतीय जिलों रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा के गांवों से पलायन अधिक हुआ है। इन जिलों के कुछ गांव तो पूरी तरह खाली हो चुके हैं। अन्य जिलों में भी तमाम गांव खाली हुए हैं। सूरतेहाल, पर्वतीय क्षेत्र के गांवों पर खास फोकस करने ठोस कार्ययोजना तैयार कर धरातल पर उतारनी होगी। हालांकि, आयोग ने नौ पर्वतीय जिलों के 35 विकासखंडों को इस लिहाज से चिह्नित किया है। बताया कि इनके लिए लघु, मध्यम व दीर्घकालीन कार्ययोजना तैयार की जाएगी। साथ ही अन्य जिलों के गांवों के लिए भी इसी प्रकार का प्लान तैयार किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे राज्य में गांव और गांववासियों को केंद्र में रखकर नीतियों का क्रियान्वयन करना समय की मांग है। इसके लिए सरकार को रोजगार के अवसरों का सृजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं पर फोकस करना होगा। बात समझने की है कि जब गांव में ही बेहतर शिक्षा व रोजगार मुहैया होगा तो कोई गांव क्यों छोड़ेगा। अब जबकि, सरकार के सामने सही तस्वीर आ चुकी है तो उसे इसके अनुरूप पलायन से पार पाने को कदम उठाने होंगे।
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