देशभर में बढ़ते साइबर क्राइम पर सीबीआइ ने मांगा सीधा हस्तक्षेप
देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए अब सीबीआइ ने बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के इन मामलों को उसे सौंपे जाने की अपेक्षा की है।
देहरादून, विकास गुसाईं। देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए अब सीबीआइ ने बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के इन मामलों को उसे सौंपे जाने की अपेक्षा की है। इस मामले में शासन में मंथन चल रहा है। अब दूसरे राज्यों द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों पर नजर रखी जा रही है, ताकि उसी हिसाब से कदम उठाया जा सके।
वर्तमान परिदृश्य में आधुनिक तकनीक के साथ ही अपराध करने का तरीका भी हाईटेक होता जा रहा है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें साइबर अपराधियों के तार अंतर्राज्यीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के गिरोहों से जुड़े पाए गए हैं। ऐसे सबसे अधिक मामले साइबर ठगी के हैं। इसके अलावा बैंक एकाउंट हैक करने और लोगों की निजी सूचनाएं चुराने आदि के मामले भी सामने आते हैं। इसके अलावा हैकर भी कई बार सरकारी वेबसाइट को हैक करने का प्रयास करते हैं।
साइबर क्राइम के मामलों की जांच के लिए यूं तो प्रदेशों में साइबर क्राइम सेल खोले गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों की कमी के कारण ये बहुत प्रभावी तरीके से काम नहीं कर पाते। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआइ) के पास ऐसे मामलों की विशेषज्ञों की पूरी टीम है। ऐसे में सीबीआइ आइटी फ्रॉड से जुड़े सभी मामलों की जांच भी कर रही है। सीबीआइ अब सभी प्रदेशों में साइबर सिक्योरिटी से जुड़े मामलों की जांच सीधे अपने हाथ में लेना चाहती है। दरअसल, अभी तक प्रक्रिया यह है कि यदि सरकार को किसी मामले की जांच सीबीआइ से करानी होती है तो वह ऐसे मामलों की संस्तुति कर पत्र सीबीआइ को भेजती है।
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इसके बाद सीबीआइ यह निर्णय लेती है कि इसकी जांच वह करेगी या नहीं। साइबर क्राइम के मामले में सीबीआइ ने आगे कदम बढ़ाया है। इस संबंध में हाल ही में शासन में एक बैठक हुई, जिसमें इस विषय पर गंभीरता से चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो साइबर अपराधों की जांच सीधे सीबीआइ द्वारा ही किए जाने के मामले में फिलहाल कोई अधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। इस मसले पर जल्द ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक कर कोई निर्णय लिया जाएगा।
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