उत्तराखंड में बढ़ रहे बच्चों के अश्लील फोटो और वीडियो पोस्ट करने के मामले, 14 माह में 34 मुकदमे
उत्तराखंड में इंटरनेट पर बच्चों के अश्लील फोटो और वीडियो पोस्ट करने और डाउनलोड करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते 14 माह में प्रदेश के विभिन्न थानों में इसके तहत 34 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में इंटरनेट पर बच्चों के अश्लील फोटो और वीडियो पोस्ट और डाउनलोड करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते 14 माह में प्रदेश के विभिन्न थानों में इसके तहत 34 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं, ऐसी 24 शिकायतों की जांच चल रही है। वहीं, इसकी गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस कार्रवाई करने में भी पीछे नहीं है। शिकायतों पर केस रजिस्टर करने में उत्तराखंड पुलिस ने चौथा स्थान प्राप्त किया है।
बच्चों के अश्लील वीडियो बनाना, देखना और इसे इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करना अपराध की श्रेणी में आता है। जागरूकता की कमी के चलते प्रदेश में यह अपराध लगातार बढ़ रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने उत्तराखंड पुलिस को बीते तकरीबन 14 महीने (जनवरी 2020 से अब तक) में राज्य से जुड़े करीब 58 केस भेजे। इनमें से अब तक 34 मामलों में संबंधितों से मुकदमा दर्ज कर लिया है।
एसएसपी साइबर क्राइम अजय सिंह ने बताया कि इंटरनेट मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो के दायरे में आने वाली सामग्री को पोस्ट, डाउनलोड और शेयर करने वालों की जानकारी एनसीआरबी की ओर से सभी राज्यों के नोडल अधिकारियों को भेजी जा रही है। गृह मंत्रालय भारत सरकार की ओर से एनसीआरबी के अंतर्गत टिपलाइन से प्राप्त शिकायतों पर केस रजिस्टर करने पर उत्तराखंड पुलिस देश में चौथे स्थान पर है। बाल अपराध संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें दोषी को पांच साल से 10 साल तक की सजा का प्रविधान है। पांच लाख रुपये तक का अर्थदंड भी भुगतना पड़ सकता है।
हर यूजर पर एनसीआरबी की नजर
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अश्लील फोटो और वीडियो पोस्ट करने के मामले को लेकर गृह मंत्रालय काफी गंभीर है। अगर कोई व्यक्ति अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इसेे देखता है और वीडियो को आगे भेजता है तो इसकी जानकारी एनसीआरबी को मिल जाती है। इसके बाद एनसीआरबी की ओर से संबंधित राज्य की पुलिस को संबंधित की पहचान कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। हालांकि, कई बार दूसरे प्रदेश का मामला होने के कारण कार्रवाई करने में थोड़ी देरी होती है, लेकिन पुलिस इस तरह के अपराध को गंभीरता से ले रही है।
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