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उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल बोले, कृषि कायाकल्प को जोन आधार पर काम करने की जरूरत

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र के कायाकल्प के लिए जोन आधार पर काम करने की जरूरत है। इसमें फसलों का चयन जंगली जानवरों से सुरक्षा सिंचाई की सुविधा सूक्ष्म सिंचाई खाद्य प्रसंस्करण और रोपवे आदि पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 02:06 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 02:06 PM (IST)
कृषि कायाकल्प को जोन आधार पर काम करने की जरूरत।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र के कायाकल्प के लिए जोन आधार पर काम करने की जरूरत है। इसमें फसलों का चयन, जंगली जानवरों से सुरक्षा, सिंचाई की सुविधा, सूक्ष्म सिंचाई, खाद्य प्रसंस्करण और रोपवे आदि पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जिससे किसानों की लागत में कमी व आय को बढ़ाया जा सके।

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वह राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) व राज्य सरकार के बीच समन्वय के लिए गठित मंत्री स्तरीय समिति की मंगलवार को आइटी पार्क स्थित नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित बैठक में बोल रहे थे। बैठक में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कृषि विकास के लिए राज्य सरकार ने फार्म मैकेनाइजेशन के तहत 1773 कस्टम हायरिंग सेंटर व फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना की है, जो इनपुट लागत को कम करने में सहायक है। कहा कि जल्द ही प्रदेश में 13 शहद पंचायतों का गठन किया जा रहा है, जिससे लगभग 6500 किसान लाभांवित होंगे।

राज्य में लगभग 6400 आर्गेनिक क्लस्टर बनाए जा चुके हैं। वर्तमान वित्त वर्ष में 350 आर्गेनिक आउटलेट खोलने की योजना है। साथ ही आवश्यकतानुसार कोल्ड स्टोरेज की जगह कोल्ड रूम बनाने पर बल दिया। उन्होंने ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कृषि क्षेत्र व कृषि उत्पादन के डाटा संग्रहण को समय की मांग बताया। मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड डा. ज्ञानेंद्र मणि ने फसलों के चयन, उच्च उत्पादन क्षमता व बाजार की मांग पर सुझाव दिए। इसके बाद नाबार्ड के सहायक प्रबंधक विकास जैन ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि राज्य में कृषि जोत का औसत आकार 0.89 हेक्टेयर है व अधिकतर कृषक छोटे व सीमांत हैं।

राज्य में लगभग आधी आबादी कृषि पर आधारित है, जबकि राज्य में कृषि योग्य भूमि कुल क्षेत्रफल की 15 फीसद ही है। बताया कि राज्य में कृषि विकास की असीमित संभावनाएं हैं जिसके उचित प्रयोग के लिए कृषि उपज को बढ़ाने, कृषक के लिए ज्यादा लाभकारी फसलों के क्षेत्रफल को बढ़ाने, बागवानी, पशुपालन, मछलीपालन, जैविक उत्पादन पर बल दिया जा सकता है। बैठक में कृषि, पशुपालन व सहकारिता विभाग के सचिव डा. आर मीनाक्षी सुंदरम, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एपी दास, महाप्रबंधक भास्कर पंत व राज्य सरकार के कृषि एवं संबद्ध विभागों के विभागाध्यक्ष, पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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