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विभागों से 10 नवंबर तक मांगे बजट प्रस्ताव

प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बजट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। वित्त सचिव अमित नेगी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों एवं सचिवों को पत्र जारी कर 10 नवंबर तक बजट प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 07:58 PM (IST)
विभागों से 10 नवंबर तक मांगे बजट प्रस्ताव
विभागों से 10 नवंबर तक मांगे बजट प्रस्ताव

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बजट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। वित्त सचिव अमित नेगी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों एवं सचिवों को पत्र जारी कर 10 नवंबर तक बजट प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। विभागों को वास्तविक आवश्यकता के मुताबिक ही बजट में आय और खर्च अनुमान रखने को कहा गया है। वास्तविक आवश्यकता से बजट में अधिक प्रावधान होने को वित्तीय अनियमितता माना जाएगा।

वित्त सचिव ने निर्देश जारी कर अगले वित्तीय वर्ष के बजट में सावधानी बरतने की हिदायत भी दी है। विभागों को एकमुश्त बजट प्रावधान करने से मना किया गया है। केवल अपरिहार्य होने पर ही यह कदम उठाया जा सकेगा। संबंधित विभाग को अपनी टिप्पणी में इसका उल्लेख करना होगा। बजट मैनुअल के प्रावधानों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि बजट अनुमानों की जांच के दौरान वित्त विभाग इन्हें तय करने से पहले संबंधित महकमों से कुछ विशेष मदों में और अधिक स्पष्टीकरण मांग सकता है। दरअसल, बजट निर्माण में वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज कर सिर्फ अनुमानों के आधार पर प्रस्तावों को लेकर वित्त विभाग ने महकमों को जरूरी सतर्कता बरतने को कहा है।

सातवें वेतनमान से राज्य के खजाने पर पड़े बोझ का असर अगले बजट पर भी दिखाई देगा। नतीजतन वित्त ने विभागों को कर और करेत्तर राजस्व के प्रति आगाह किया है। इसके लिए 31 अक्टूबर तक दोनों करों की प्राप्ति से संबंधित सूचनाएं भी तलब की गई हैं। राजस्व बढ़ाने के उपायों पर गौर करते हुए विभागों को शासन से उपलब्ध कराई जा रही सेवाअें की फीस का पुनरीक्षण करने, राजस्व वसूली में वसूली पर लागत की समीक्षा करने के निर्देश हैं। उधार और अग्रिम की वसूली के अनुमानों का निर्धारण करते समय उधार व अग्रिम की देय किश्तों को आधार माना जाएगा।

सरकार ने वर्तमान में चल रही योजनाओं के संबंध में योजना की स्वीकृति अवधि, स्वीकृत भौतिक व वित्तीय लक्ष्य, योजना की स्वीकृत अवधि, योजनाओं के लिए फंडिंग पैटर्न समेत तमाम अनुमानों को बगैर सोच-विचार के बजट परिव्यय व्यवस्था कराने को उचित नहीं माना है। राज्य सरकार के सीमित संसाधनों को देखते हुए योजना का मूल्यांकन जीरो बेस्ड बजटिंग के आधार पर करने के निर्देश दिए गए हैं।

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