बूढ़ी दिवाली नजदीक, बाजारों में बढ़ने लगी रौनक
संवाद सूत्र साहिया दीपावली पर्व के ठीक एक माह बाद जौनसार के 200 गांवों में 26 नवंबर से पांच
संवाद सूत्र, साहिया: दीपावली पर्व के ठीक एक माह बाद जौनसार के 200 गांवों में 26 नवंबर से पांच दिवसीय बूढ़ी दिवाली मनाई जाएगी। इसे लेकर गांवों में जश्न का माहौल है। पांच दिन तक पंचायती आंगन जौनसार की अनूठी लोक संस्कृति से गुलजार रहेंगे। बूढ़ी दिवाली के चलते स्थानीय बाजारों के साथ ही विकासनगर बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई। है। चकराता, साहिया, कालसी की दुकानों में खरीदारों की भीड़ बढ़ने से दुकानदारों के चेहरे खिल उठे हैं।
देहरादून जिले की तीन कालसी, चकराता व त्यूणी तहसीलें और दो कालसी व चकराता विकासखडों में बंटे जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर अपनी अनूठी लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के तीज त्योहार, शादी समारोह को मनाने के तरीके भी निराले हैं। देशभर में मनाई जाने वाली दीपावली पर्व के ठीक एक माह बाद जनजाति क्षेत्र में पांच दिन की बूढ़ी दिवाली मनाने का रिवाज है। जौनसार के 200 गांवों में आगामी 26 नवंबर से बूढ़ी दिवाली मनाने का जश्न शुरू हो चुका है। पहले दिन छोटी दीवाली, दूसरे दिन आंवोस, तीसरे दिन भिरूड़ी मनाई जाती है। भिरूड़ी के दिन हर परिवार के लोग कुल देवता के दर्शनों के लिए मंदिरों में जाते हैं। साथ ही इस दिन चिउड़ा के अलावा मीठी रोटी गुड़ोई को भी परोसा जाता है। पर्व के खास लोक गीत भी बूढ़ी दिवाली को सुनने को मिल जाते हैं। विलुप्त हो रहे बुडि़यात के गीत व कई वाद्य यंत्रों की थाप भी इस पर्व पर सुनाई देती है। हर घर से चिउड़ा मूड़ी की महक
साहिया: जौनसार के गांवों में हर घर से विशेष व्यंजन चिउडा मूड़ी की उठ रही महक अहसास करा रही है कि बूढ़ी दिवाली नजदीक है। विशेष व्यंजन तैयार करने को ग्रामीण महिलाओं में विशेष उत्साह दिखाई दे रहा है। पांच दिवसीय दिवाली में जंदोई, आंवोस, होलियात व भीरूड़ी का जश्न मनाया जाता है। जौनसार के गांवों में बूढ़ी दिवाली नजदीक आते ही ओखली में धान कूटने व भूनकर चिउड़ा मूडी तैयार करने का काम तेज हो गया है।