बॉन कम्युनिटी रिजर्व को कसरत शुरू, मांगा स्वामित्व का ब्योरा; पढ़िए पूरी खबर
उच्च हिमालयी क्षेत्र की दारमा एवं व्यास लैंडस्केप के बॉन को प्रदेश का पहला कम्युनिटी रिजर्व (सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र) बनाने की दिशा में कसरत शुरू हो गई है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र की दारमा और व्यास लैंडस्केप के बॉन को प्रदेश का पहला कम्युनिटी रिजर्व (सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र) बनाने की दिशा में कसरत शुरू हो गई है। राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में हरी झंडी मिलने के बाद अब मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने कम्युनिटी रिजर्व के लिए प्रस्तावित किए गए क्षेत्र की भूमि के स्वामित्व के बारे में ब्योरा मांगा है। इसके अस्तित्व में आने पर यह देश का 46वां कम्युनिटी रिजर्व होगा। वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से संरक्षित क्षेत्रों की चार श्रेणियां तय की गई हैं। इनमें नेशनल पार्क, अभयारण्य, कंजर्वेशन रिजर्व और कम्युनिटी रिजर्व शामिल हैं।
71 फीसद वन भूभाग वाले राज्य में संरक्षित क्षेत्रों की तीन श्रेणियां तो हैं, मगर कम्युनिटी रिजर्व की स्थापना अब तक नहीं हो पाई है। इसे देखते हुए निजी और सामुदायिक वन क्षेत्रों के संरक्षण की अवधारणा को सामुदायिक रिजर्व के रूप में धरातल पर आकार देने की तैयारी है। प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के क्षेत्र में चल रहे सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत बॉन को कम्युनिटी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव किया गया है। पिथौरागढ़ के दारमा-व्यास घाटी के अंतर्गत बॉन गांव के निवासियों ने बॉन को कम्युनिटी रिजर्व बनाने पर सहमति दे दी है।
इसे देखते हुए हाल में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में यह मसला रखा गया। इसमें कम्युनिटी रिजर्व बनाने के प्रयास करने पर जोर दिया गया। बॉन कम्युनिटी रिजर्व के प्रस्ताव को एक प्रकार से झंडी मिलने के बाद अब वन्यजीव महकमा सक्रिय हो गया है। इसके तहत मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने बॉन कम्युनिटी रिजर्व के लिए प्रस्तावित किए गए क्षेत्र के स्वामित्व के बारे में पिथौरागढ़ के प्रभागीय वनाधिकारी से संपूर्ण ब्योरा जल्द मुहैया कराने को कहा है। बताया गया कि प्रस्तावित क्षेत्र में कुछ भूमि ग्रामीणों के स्वामित्व की है, जबकि कुछ वन पंचायत की।
उधर, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने बताया कि भूमि के स्वामित्व का ब्योरा मिलने के बाद इस दिशा में आगे कदम बढ़ाया जाएगा। यह होगा फायदा कम्युनिटी रिजर्व घोषित होने के बाद बान क्षेत्र के लोगों की वन और वन्यजीव प्रबंधन में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी। प्रबंधन की योजनाएं भी उन्हीं की सहमति से बनेंगी। यानी ग्रामीण ही तय करेंगे कि वनोपज का कितना व किस तरह उपयोग होना है, इनका संरक्षण कैसे होगा। बता दें कि बान क्षेत्र जड़ी-बूटियों का विपुल भंडार होने के साथ ही यह कस्तूरा मृग समेत दूसरे वन्यजीवों के लिए पहचान रखता है।
क्या है कम्युनिटी रिजर्व
निजी और सामुदायिक वन क्षेत्रों की विशिष्टता के आधार पर क्षेत्र विशेष को वन और वन्यजीवों के साथ ही वहां की वनस्पतियों के संरक्षण के लिए कम्युनिटी रिजर्व घोषित किए जाते हैं। इसमें भूमि का स्वामित्व जनता का होता है। साथ ही वह कम्युनिटी रिजर्व के प्रबंधन में उसकी मुख्य भूमिका होती है। यह समुदाय के प्रयासों को वैज्ञानिक समर्थन व पहचान प्रदान करता है। साथ ही समुदाय के हितों को रक्षण और वन एवं वन्यजीव संरक्षण के लक्ष्य प्राप्त करने की व्यवस्था करता है।