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उत्तराखंड की जेलों में अब हर हलचल पर रहेगी बंदी रक्षकों की तीसरी आंख की नजर, जानें- क्या है योजना

जेलों में अब हर हलचल पर बंदी रक्षकों की तीसरी आंख की नजर रहेगी। इसके लिए बंदी रक्षकों की वर्दी पर बॉडी वार्न कैमरे लगाए जाएंगे। जिससे जेल की हर गतिविधि कैमरे में कैद होगी। साथ ही प्रदेश की सभी 11 जेलों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 06:55 AM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 06:55 AM (IST)
उत्तराखंड की जेलों में अब हर हलचल पर रहेगी बंदी रक्षकों की तीसरी आंख की नजर, जानें- क्या है योजना
उत्तराखंड की जेलों में अब हर हलचल पर रहेगी बंदी रक्षकों की तीसरी आंख की नजर।

हरिद्वार, मेहताब आलम। प्रदेश की जेलों में अब हर हलचल पर बंदी रक्षकों की तीसरी आंख की नजर रहेगी। इसके लिए बंदी रक्षकों की वर्दी पर बॉडी वार्न कैमरे लगाए जाएंगे। जिससे जेल की हर गतिविधि कैमरे में कैद होगी। साथ ही प्रदेश की सभी 11 जेलों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। इसके लिए बकायदा तीन करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी भी मिल चुकी है। कैमरों का जाल बढ़ने से जहां जेल की चाहरदीवारी के भीतर पनपने वाली साजिशों पर लगाम लगेगी, वहीं पारदर्शिता भी आएगी। 

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प्रदेश की जेलों में बंद कुख्यात अंदर बैठे-बैठे रंगदारी से लेकर लूट, हत्या, डकैती जैसे अपराधों को अंजाम देने से पीछे नहीं हटते। हाल ही में हरिद्वार के प्रॉपर्टी डीलर से एक करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस की जांच में सामने आया है कि अल्मोड़ा जेल में बंद कलीम व पौड़ी जेल में बंद नरेंद्र वाल्मीकि ने मिलकर व्हाटसएप कॉलिंग के जरिये रंगदारी का पूरा ताना-बाना बुना था। प्रदेश भर की जेलों में बंद कुख्यातों का नेटवर्क तोड़ने और जेल में सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए आईजी एपी अंशुमान की पहल पर एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है।

इसके लिए प्रदेश की सभी 11 जेलों में तैनात बंदी रक्षकों को बॉडी वॉर्न कैमरों से लैस करने की तैयारी शुरू हो गई है। सीपीयू की तर्ज पर हर बंदी रक्षकों की वर्दी पर तीसरी आंख के तौर पर लगे यह कैमरे जेल के भीतर की छोटी से छोटी हरकत को कैद करेंगे। साथ ही जेलों में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। कैदियों से मुलाकात वाली जगह भी सीसीटीवी कैमरे की नजर में होगी। ताकि जेल में मोबाइल चलाने से लेकर प्रतिबंधित सामग्री व गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके।

क्षमता से अधिक कैदी बने मुश्किल

प्रदेश की 11 जेलों की क्षमता 3540 कैदियों की है। लेकिन इन जेलों में करीब 5748 कैदी बंद है। क्षमता से अधिक कैदियों के मामले में हल्द्वानी जेल अव्वल है। 382 कैदी क्षमता वाली जेल में 1304 कैदी बंद हैं। वहीं अल्मोड़ा में 102 कैदियों के सापेक्ष 232 कैदियों को रखा गया है। तीसरे स्थान पर देहरादून जेल है, जहां 580 कैदियों की जगह पर 1300 से ज्यादा कैदी बंद हैं। जबकि करीब 650 कैदी क्षमता वाली प्रदेश की सबसे बड़ी हरिद्वार जेल में भी कैदियों की संख्या 1300 पार है। रुड़की, पौड़ी, टिहरी और नैनीताल जेलों के हालात भी कमोबेश ऐसे ही हैं। 

आइजी जेल एपी अंशुमान ने कहा, प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरों का नेटवर्क बढ़ाने के लिए तीन करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हो गया है। सभी जेल अधीक्षकों से रिपोर्ट मांगी गई है कि किस जेल में कितने कैमरों की आवश्यकता है। साथ ही बंदी रक्षकों की वर्दी पर बॉडी वार्न कैमरे लगाए जाएंगे। इन कैमरों की मदद से जेलों में कोने-कोने पर नजर रखी जा सकेगी। उम्मीद है कि इससे पारदर्शिता और व्यवस्थाओं में सुधार आएगा।

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