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शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत की मां बोली- 'जिसने सारा संसार घूमा, उसकी परिक्रमा मैं क्या करूं'

त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत कुकरेती का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह उनके घर लाया। देहरादून के नत्थनपुर स्थित गंगोत्री विहार स्थित उनके आवास के बाहर सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी रही।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 11:25 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 11:25 AM (IST)
शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत की मां बोली- 'जिसने सारा संसार घूमा, उसकी परिक्रमा मैं क्या करूं'
अनंत की मां मधु कुकरेती ने तस्वीर को ही सीने से लगा लिया और बिलख पड़ीं।

आयुष शर्मा, देहरादून। 'मेरा हिम्मी बोलता था, मां मुझे यूनिफार्म में देखकर क्या करोगी और अब तिरंगे में लिपट कर आया है। हमें इस तरह छोड़ कर क्यों चला गया बेटा? अब हमारा क्या होगा। खैर, तेरी यही इच्छा थी तो मैं तुझे विदा करती हूं, लेकिन जिसने सारा संसार घूमा है, उसकी परिक्रमा मैं क्या करूंगी'। यह शब्द हैं, शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत कुकरेती की मां मधु कुकरेती के। वह सोमवार को अनंत यात्रा पर जाने से पहले बेटे के ताबूत से लिपट कर बार-बार यही बात कह रही थीं। दोपहर में शहीद का हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत कुकरेती शुक्रवार को त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन (एवलांच) की चपेट में आ गए थे। सोमवार को दिन में करीब सवा 11 बजे शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए देहरादून स्थित उनके घर लाया गया। इससे पहले ही दून के लाल को नमन करने के लिए तमाम लोग आवास पर जुट चुके थे।

शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही स्वजन की चीत्कार और विलाप देख वहां मौजूद हर किसी की आंख नम हो गई। मां मधु कुकरेती व पिता जेपी कुकरेती बेटे को खोने के गम में बार-बार बेसुध हो जा रहे थे। शहीद की पत्नी राधा का भी यही हाल था। रिश्तेदार और परिचित उन्हें संभालने में लगे हुए थे।

सुध में आने के बाद मधु ताबूत से लिपट कर फूट-फूटकर रोने लगीं। दोपहर करीब डेढ़ बजे शहीद की अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए निकली। जहां दोपहर करीब तीन बजे स्वजन और नौसेना के अफसरों व जवानों ने सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी। इस दौरान शहीद के बड़े भाई स्क्वाड्रन लीडर अखिल कुकरेती, छोटे भाई राजेंद्र कुकरेती समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

दुख की घड़ी में भी नहीं भूली जिम्मेदारी

शहीद अनंत की पत्नी राधा उन्हें खोने के दुख में तो थीं, लेकिन ऐसे नाजुक वक्त में भी उन्हें परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी याद रही। अपने आंसुओं को किसी तरह रोक वह बेसुध सास-ससुर को ढांढस बंधाती रहीं। पूरा परिवार घर से करीब एक किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक शहीद को विदाई देने गया।

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