उत्तराखंड में बीएमसी के गठन की धीमी रफ्तार, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड की 7799 ग्राम पंचायतों में जैव विविधता प्रबंध समितियों बीएमसी के गठन की धीमी रफ्तार तो इसी तरफ इशारा कर रही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड से भले ही तमाम कंपनियां व संस्थाएं यहां के जैव संसाधनों का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रही हों, मगर स्थानीय ग्रामीणों को इसमें अपेक्षित हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। राज्य की 7799 ग्राम पंचायतों में जैव विविधता प्रबंध समितियों (बीएमसी) के गठन की धीमी रफ्तार तो इसी तरफ इशारा कर रही है। वर्ष 2010-11 से अभी तक केवल 948 ग्राम पंचायतों में ही यह समितियां गठित हो पाई हैं। हालांकि, उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड का कहना है कि बीएमसी के गठन में अब तेजी लाई जा रही है।
प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण के मद्देनजर वर्ष 2001 में उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड अस्तित्व में आया। उसने जैव विविधता अधिनियम-2002 के दिशा-निर्देशों के क्रम में नियमावली तैयार करने के साथ ही अन्य कदम उठाए। इससे उम्मीद जगी कि अब राज्य में जैव संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं व संस्थानों से लाभ का सहभाजन सुनिश्चित होने पर स्थानीय ग्रामीणों को इससे लाभ मिलेगा। इस कड़ी में सभी ग्राम पंचायतों में बीएमसी के गठन का निर्णय लेते हुए वर्ष 2010-11 से इसकी शुरुआत की गई, मगर इनके गठन की रफ्तार बेहद धीमी है।
वर्ष 2010-11 से अब तक केवल 948 बीएमसी ही अस्तित्व में आ पाई हैं, जबकि राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 7799 है। हालांकि, बोर्ड ने तमाम कंपनियों से कई बीएमसी को उनके यहां से जैव संसाधनों का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रही कंपनियों, संस्थाओं से लाभांश का दो फीसद तक हिस्सा दिलाया है। यही नहीं, देहरादून के सहसपुर जिले की दुधई ग्राम पंचायत की बीएमसी ने वहां स्वारना नदी में खनन पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही जैव संसाधन के वाणिज्यिक उपयोग के क्रम में संग्रहण शुल्क लाने में कामयाबी पाई। साफ है कि बीएमसी का गठन होने पर अन्य ग्राम पंचायतों में भी ऐसी ही पहल रंग ला सकती है। हालांकि, बोर्ड ने इस वर्ष की कार्ययोजना में यह साफ किया है कि बीएमसी के गठन के मद्देनजर कार्रवाई तेज करने के साथ ही यहां के जैव संसाधनों का उपयोग करने वाली कंपनियों-संस्थाओं व व्यक्तियों से बीएमसी को लाभांश में हिस्सेदारी दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
जैव विविधता प्रबंध समितियां
- वर्ष------------संख्या
- 2010-11------07
- 2011-12------554
- 2012-13------49
- 2013-14------124
- 2014-15------08
- 2015-16------33
- 2016-17------132
- 2017-18------41
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