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Uttarakhand में निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ कराने की इच्छुक भाजपा, पीछे है यह वजह

Municipal body elections in Uttarakhand भाजपा चाहती है कि बदली परिस्थितियों में निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ कराए जाएं। तर्क दिया गया है कि इससे चुनावों पर आने वाले खर्च की बचत होगी और दोनों छोटी सरकारों के एक साथ चुनाव होने पर विकास कार्यों में किसी तरह का व्यवधान नहीं आएगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी के इस सुझाव पर सरकार मंथन में जुटी है।

By kedar dutt Edited By: Nirmala Bohra Sun, 09 Jun 2024 09:54 AM (IST)
Uttarakhand में निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ कराने की इच्छुक भाजपा, पीछे है यह वजह
Municipal body elections in Uttarakhand ;प्रदेश भाजपा की ओर से इस सिलसिले में सरकार को दिया गया है सुझाव

राज्य ब्यूरो, जागरण  देहरादून: Municipal body elections in Uttarakhand: उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव कब होंगे, इसे लेकर कुहासा अभी तक छंट नहीं पाया है। इसके साथ ही त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव के संबंध में भी चर्चा होने लगी है, जिनका पांच साल का कार्यकाल खत्म होने को अब लगभग पांच माह का समय ही शेष रह गया है।

इस सबके बीच भाजपा चाहती है कि बदली परिस्थितियों में निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ कराए जाएं। प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार इस सिलसिले में सरकार को पार्टी की ओर से सुझाव भी दिया गया है। तर्क दिया गया है कि इससे चुनावों पर आने वाले खर्च की बचत होगी और दोनों छोटी सरकारों के एक साथ चुनाव होने पर विकास कार्यों में किसी तरह का व्यवधान नहीं आएगा।

लोकसभा चुनाव के चलते निकाय चुनाव नहीं हो पाए

यही नहीं, अन्य कई तरह की दिक्कतों का भी समाधान हो जाएगा। देखने वाली बात होगी कि सरकार इस सुझाव को कितना महत्व देती है।  राज्य में नगर निकायों का कार्यकाल पिछले वर्ष दो दिसंबर को खत्म होने के बाद चुनाव की स्थिति न बन पाने पर इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इस बीच लोकसभा चुनाव के चलते निकाय चुनाव नहीं हो पाए और सरकार ने दो जून को निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ा दिया। यद्यपि, अभी निकायों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण के साथ ही एक्ट में कुछ संशोधन के दृष्टिगत सरकार को निर्णय लेने हैं।

यही नहीं, सरकार ने हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में शपथ पत्र दिया था कि 30 जून तक निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे, लेकिन ऐसी स्थिति बनती नहीं दिख रही। अब हाईकोर्ट ने प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने पर सख्त नाराजगी जताई है।  यदि सरकार ने जल्द निकाय चुनाव कराने का निर्णय ले भी लिया तो अगले साढ़े तीन माह वर्षाकाल के हैं। ऐसे में चुनाव कराना बड़ी चुनौती रहेगी। इस पूरे परिदृश्य से साफ है कि निकाय चुनावों में अभी वक्त लगना तय है।

वहीं, त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल भी इस वर्ष नवंबर के आखिर में खत्म होने जा रहा है। पंचायती राज एक्ट के अनुसार कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा बाद में चुनाव कराए जाने आवश्यक हैं। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव के लिए भी सरकार को कसरत करनी है।  इस सबको देखते हुए भाजपा ने अब सरकार को सुझाव दिया है कि यदि निकाय और पंचायत चुनाव साथ-साथ करा दिए जाएं तो यह बेहतर रहेगा।

प्रदेश भाजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी ने सरकार के समक्ष सुझाव रखा है कि निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराना नई मिसाल बनेगा। साथ ही इससे गांव-शहर के मतदाता अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान कर सकेंगे। निकाय व पंचायतों में गुटबाजी से निजात मिलेगी। सबसे अहम ये कि एक साथ चुनाव कराए जाने से खर्च कम होगा और आचार संहिता के कारण विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। सूत्रों के अनुसार पार्टी के इस सुझाव पर सरकार मंथन में जुटी है।