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हाईकोर्ट के फैसले से भाजपा को पहले मोर्चे पर लगा झटका

राज्य के नगर निकायों में भी परचम फहराने का मंसूबा बांधे भाजपा को पहले ही मोर्चे पर झटका लगा है। हालांकि पार्टी ने कहा है कि सरकार फैसले का सम्मान करती है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 10 Mar 2018 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 10 Mar 2018 12:01 PM (IST)
हाईकोर्ट के फैसले से भाजपा को पहले मोर्चे पर लगा झटका

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: विधानसभा चुनाव की तर्ज पर राज्य के नगर निकायों में भी परचम फहराने का मंसूबा बांधे भाजपा को पहले ही मोर्चे पर झटका लगा है। हाईकोर्ट द्वारा निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना को निरस्त कर दिए जाने से अब सरकार को नए सिरे से जन सुनवाई की कवायद में जुटना होगा। हालांकि पार्टी ने कहा है कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करती है।

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सूबे में सत्तासीन भाजपा ठीक एक साल पहले संपन्न विधानसभा चुनाव में जोरदार प्रदर्शन कर तीन-चौथाई से ज्यादा सीटें हासिल करने में सफल रही थी। विधानसभा चुनाव के बाद नगर निकाय चुनाव प्रदेश सरकार की पहली अग्निपरीक्षा के रूप में देखे जा रहे हैं। 

खासकर, जिस तरह उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने नगर निगमों के चुनाव में वर्चस्व कायम किया, उससे उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार के समक्ष इस प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती आ खड़ी हुई है। यही नहीं, निकाय चुनाव के नतीजे प्रदेश सरकार के एक साल के कामकाज के आंकलन का भी काम करेंगे।

यही वजह है कि भाजपा निकाय चुनाव में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर चुकी है। इसी कारण जब सरकार ने निकायों का सीमा विस्तार किया तो कांग्रेस इसके विरोध में आ खड़ी हुई। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अपने मन मुताबिक निकायों का सीमा विस्तार किया। 

हालांकि भाजपा इन आरोपों को सिरे से नकारती रही है, लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। जागरण से बातचीत में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार को आपत्तियां सुनने में कोई परेशानी नहीं है और हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य में कुल 92 निकाय हैं। इनमें आठ नगर निगम, 41 नगर पालिका परिषद और 43 नगर पंचायतें हैं। इनमें से चार को छोड़कर 88 पर चुनाव होना है। 

बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री निकायों में चुनाव नहीं होते, जबकि भतरौंजखान के मामले में कोर्ट का स्टे है। इस बीच नगर निकायों के सीमा विस्तार के बाद कई लोग इसके विरोध में अदालत चले गए। इस पर शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने निकायों के विस्तार संबंधी अधिसूचना को निरस्त करते हुए सरकार को नए सिरे से आपत्तियां आमंत्रित करने व जन सुनवाई के निर्देश दिए।

फैसले का किया जा रहा है अध्ययन 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के फैसले का पार्टी स्वागत करती है। न्यायालय हमेशा जनहित में ही निर्णय देता है। निकायों के सीमा विस्तार संबंधी जो निर्णय हाईकोर्ट ने दिया है, पार्टी और सरकार उसका अध्ययन कर रही है।

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