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भाजपा-कांग्रेस करेंगे बागियों को अपने पाले में करने की कोशिश

नगर निकाय चुनाव के नतीजों के बाद अब बीजेपी और कांग्रेस सिरमौर बने बागियों को साधने की कोशिश करेंगे।

By Edited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 03:54 PM (IST)
भाजपा-कांग्रेस करेंगे बागियों को अपने पाले में करने की कोशिश
भाजपा-कांग्रेस करेंगे बागियों को अपने पाले में करने की कोशिश

देहरादून, केदार दत्त। नगर निकाय चुनाव के नतीजों ने भाजपा और कांग्रेस को अपनों की नाराजगी का शिद्दत से अहसास करा दिया है। टिकट बंटवारे के बाद पहले रूठों को मनाने की कोशिश हुई। इसमें कुछ कामयाबी मिली, मगर फिर भी कुछ नाराज रह गए। चुनाव में दमखम के साथ उतरे तमाम बागियों ने जीत हासिल कर मैदान मारा है। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा व कांग्रेस में इन्हें अपने-अपने पाले में लाने की होड़ शुरू हो गई है। हालांकि, सिरमौर बने बागियों ने अभी तक अपनी ओर से कोई इशारा नहीं किया है, मगर दोनों सियासी दल उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अपनापन बागियों को घर में खींच लाएगा।

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अक्टूबर में निकाय चुनाव का एलान होने से काफी पहले से भाजपा और कांग्रेस दोनों के तमाम नेता चुनावी धरातल तैयार करने में जुटे थे। कुछ ने खुद मैदान में उतरने तो कईयों ने अपने नाते-रिश्तेदारों व परिचितों के लिए जोड़-तोड़ की चाल चली। इसी हिसाब से दोनों दलों के तमाम नेताओं ने पार्टी टिकट को दावेदारी ठोकी, मगर ऐन मौके पर कई टिकट हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि, टिकट वितरण के बाद उपजी नाराजगी दूर करने के लिए शुरुआती दौर में प्रयास हुए।

रूठों को मनाने के लिए को जिम्मेदारियां सौंपी गई। बैठकों का दौर चला तो परिचितों के जरिये मनाने की कोशिशें हुई। इस मुहिम में काफी हद तक रुठों को साधने में कामयाबी मिली, मगर कइयों की नाराजगी दूर नहीं हो पाई। इन्होंने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। अब तमाम बागियों ने यह साबित भी कर दिया कि उनकी नाराजगी क्यों थी। चुनाव के नतीजे आने के बाद सियासी दलों को भी इसका अहसास हुआ है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस की ओर से निर्दलीय जीते बागियों के लिए रेड कार्पेट बिछाया जा रहा है।

इस कड़ी में उनके मान मनौवल के लिए नाते-रिश्तेदारों व परिचितों के साथ ही अन्य संपर्क सूत्र खंगाले जा रहे हैं। बता दें कि निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल बगावत से जूझे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा खेमे से बगावत करने वालों की संख्या 40 के करीब थी। डैमेज कंट्रोल के तहत तब आधे से अधिक को साध लेने का दावा किया गया था। यही स्थिति कांग्रेस की भी रही। कांग्रेस में बगावती तेवर वालों की संख्या 70 के आसपास थी और उसने भी तमाम रूठों को मनाने का दावा किया था। अब जबकि दोनों दलों से बगावत करने वाले तमाम नेताओं ने चुनाव में मैदान मारा है। लिहाजा, इन्हें साथ लेने की दलों में होड़ लगी है। 

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