Dehradun नगर निकाय की मतदाता सूची में बड़ा घपला, प्रधान भी शहरी मतदाता
Dehradun Municipal Body मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में गड़बड़झाले की स्थिति यह है कि ग्राम प्रधान तक शहरी क्षेत्र के मतदाता बने बैठे हैं। नगर निकायों की मतदाता सूची में बड़े स्तर पर गड़बड़ी के प्रमाण सामने आ रहे हैं। जिला प्रशासन की पकड़ में आया गड़बड़झाला बताता है कि निकाय और पंचायत के चुनावों को प्रभावित करने के लिए मतदाताओं की डुप्लीकेसी का खेल चल रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Dehradun Municipal Body: नगर निकाय की मतदाता सूची में घपले को लेकर हंगामा यूं ही नहीं किया जा रहा था। दरअसल, नगर निकायों की मतदाता सूची में बड़े स्तर पर गड़बड़ी के प्रमाण सामने आ रहे हैं। मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में गड़बड़झाले की स्थिति यह है कि ग्राम प्रधान तक शहरी क्षेत्र के मतदाता बने बैठे हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम मतदाताओं के नाम भी नगर निकाय की सूची न दर्ज हैं। अब जिला प्रशासन प्राप्त आपत्तियों और शिकायत के क्रम में वार्डवार जांच कर रहा है तो एक-एक कर गड़बड़ी पकड़ में आ रही हैं।
जिला प्रशासन के पास दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, सरोज रावत धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र में टकारना गांव की प्रधान हैं। इसके बाद भी उनका नाम मसूरी पालिका के वार्ड-07 में मतदाता के रूप में दर्ज है। इसी तरह तुनेठा गांव के प्रधान गोविंद सिंह का नाम पालिका के वार्ड-05 की मतदाता सूची में भी अंकित पाया गया है।
पालिका के वार्ड-03 के मतदाता श्रीपाल रावत धनोल्टी विधानसभा के अंतर्गत घंडियाला गांव के प्रधान हैं। वहीं, मेडियाणा गांव की प्रधान मीनाक्षी का नाम वार्ड-06 की मतदाता सूची में दर्ज पाया गया है। पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भांति तमाम ग्रामीणों के नाम भी शहरी मतदाता सूची में पाए गए हैं।
पालिका, कैंट और पंचायत तीनों जगह हैं मतदाता
जिला प्रशासन की पकड़ में आया गड़बड़झाला बताता है कि निकाय और पंचायत के चुनावों को प्रभावित करने के लिए मतदाताओं की डुप्लीकेसी का खेल चल रहा है। जानकर हैरानी होती है कि निकाय के वार्ड-07 की मतदाता सूची में दर्ज नाम रामेश्वर प्रसाद का नाम पालिका के ही वार्ड-06 के साथ लंढौर कैंट और बडोन गांव में भी अंकित है। पालिका के ही वार्ड-07 में दर्ज नाम सुशीला देवी, साहिल सागर के मामले में भी यही स्थिति पाई गई है।
होटल सेवाय के नाम पर दर्ज मतदाताओं पर सवाल
जिला प्रशासन को होटल सेवाय के नाम पर 22 व्यक्तियों की सूची मिली थी। जिन्हें होटल का कर्मचारी बताकर मतदाता सूची में नाम जोड़े गए थे। अब होटल प्रबंधन ने लिखकर दिया है कि संबंधित व्यक्ति होटल के कर्मचारी हैं ही नहीं। यह जानकारी बाहर आने के बाद मतदाताओं के साथ ही कुछ उम्मीदवारों में खलबली की स्थिति है। बताया यह भी जा रहा है कि जांच में किसी भी तरह की गंभीर अनियमितता की स्थिति में एफआइआर भी दर्ज कराई जा सकती हैं।
दोराहे पर खड़े हैं मतदाता
प्रशासन के सामने फर्जीवाड़ा उजागर हो जाने के बाद अब डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम कटने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में प्रशासन ने विकल्प दिया है कि जो लोग शहरी क्षेत्र की सूची में जुड़े रहना चाहते हैं, उन्हें अन्यत्र की सूची से 10 दिन के भीतर नाम कटवाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि लोग ऐसा करते हैं तो उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में मिल रही सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। अधिकतर ग्रामीण मतदाता ओबीसी क्षेत्र से हैं। ऐसे में न सिर्फ उनकी मूल पहचान समाप्त हो जाएगी, बल्कि वहां मिलने वही सुविधाओं से भी हाथ धोना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि उम्मीदवार अपना हित पूरा करने के लिए मतदाताओं को ग्रामीण क्षेत्रों से नाम कटवाने का दबाव बना रहे हैं।
मतदाता सूची में गड़बड़ी के जो भी मामले सामने आ रहे हैं, उनका गंभीरता से परीक्षण किया जा रहा है। किसी भी दशा में मतदाता सूची में डुप्लीकेसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सोनिका, जिलाधिकारी (देहरादून)