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ऑफर की आड़ में आपके अकाउंट पर है ठगों की नजर

सेल में विभिन्न उत्पादों पर भारी छूट दी जा रही हैं। लेकिन ऐसे किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले सावधानी बरतें वरना आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 07:55 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 07:55 AM (IST)
ऑफर की आड़ में आपके अकाउंट पर है ठगों की नजर
ऑफर की आड़ में आपके अकाउंट पर है ठगों की नजर

जागरण संवाददाता, देहरादून: त्योहारी सीजन में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऑनलाइन शॉपिग कंपनियां कई लुभावने ऑफर देती हैं। इन दिनों भी ऑनलाइन शॉपिग सेल में विभिन्न उत्पादों पर भारी छूट दी जा रही हैं। लेकिन, ऐसे किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले सावधानी बरतें, वरना आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है। वजह यह कि ऑनलाइन शॉपिग सेल के दौरान जालसाज भी सक्रिय हो जाते हैं। जो फेक वेबसाइट और मैसेज के जरिये आपको शिकार बना सकते हैं।

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एसटीएफ ने अलर्ट करते हुए कहा है कि साइबर ठग वारदात के लिए नए-नए तरीके आजमाते रहते हैं। कोरोनाकाल में बाजार की भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑनलाइन शॉपिग सबसे बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। ऐसे में साइबर ठग ई-मेल, वाट्सएप, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऑफर से संबंधित संदेश भेजकर आपको जाल में फंसा सकते हैं। इस तरह के संदेश भेजने का मकसद आपका फोन नंबर, लोकेशन, नाम और शहर पता करना होता है। इसके जरिये साइबर ठग आपकी निजी जानकारी चोरी कर उन्हें बेचते हैं और कई बार आपके बैंक खाते तक भी पहुंच जाते हैं। इसलिए ऑफर देने वाले लिक को खोलने से परहेज करना चाहिए। रिमोट एक्सेस एप से भी खाते में सेंध

अगर आपको किसी अनजान नंबर से संदेश आए और उसमें दिए गए लिंक पर क्लिक कर कोई एप या अन्य सामग्री डाउनलोड करने को कही जाए तो सावधान हो जाएं। यह काम किसी साइबर ठग का भी हो सकता है। लिंक में दी गई एप एक रिमोट एक्सेस एप (टीम विवर, एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट) हो सकती है। जिसे डाउनलोड करने के बाद साइबर ठग आपके मोबाइल की हर गतिविधि पर नजर रख सकता है। इस तरह ठग उपयोगकत्र्ता के मोबाइल बैंकिंग एप और ई-वॉलेट के पासवर्ड तक आसानी से पहुंच जाते हैं। इन बातों का रखें ध्यान

-हमेशा नामचीन और अच्छी कंपनी की वेबसाइट से ही खरीदारी करें।

-ज्यादा बचत के लालच मे ऐसी वेबसाइट से खरीदारी न करें, जिसके बारे में जानकारी न हो।

-वेबसाइट का यूआरएल जरूर चेक करें। वह एचटीटीपी के बजाय एचटीटीपीएस होना चाहिए। आखिर में एस का मतलब है कि गूगल ने उसे सिक्योर्ड किया है। इससे आप धोखाधड़ी पर आसानी से क्लेम कर सकते हैं।

-अगर किसी कंपनी का कोई उत्पाद तीसरी कंपनी बेच रही है तो उसके नाम, पते आदि की जानकारी कर लें और मुख्य कंपनी से इस बारे में पता करें।

-खरीदे गए उत्पाद को अच्छी तरह से जांच लें। यह सुनिश्चित हो कि जो उत्पाद बुक किया है वही डिलीवर हुआ है।

-ऑनलाइन शॉपिग करने से पहले अपने परिचितों से भी संबंधित वेबसाइट व उसकी सर्विस के बारे में पता कर लें।

-ऑनलाइन बैंकिग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करते वक्त बिल के बारे में भी जानकारी लें। बैंक आपकी अनुमति के बिना भुगतान नहीं करती है।

-ऑनलाइन भुगतान करते समय कभी भी क्रेडिट कार्ड नंबर पहले न डालें। प्रोफार्मा पर उत्पाद की सूचना भर लें, इसके बाद बैंक से जुड़ी जानकारी भरें।

-किसी को बैंक या एटीएम कार्ड की डिटेल न बताएं।

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साइबर ठगी के मामलों को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। त्योहारी सीजन को देखते हुए आम नागरिकों को साइबर ठगी के प्रति जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसे लेकर हर किसी को जागरूक होने की आवश्यकता है। इससे वह घटना के शिकार होने से काफी हद तक बच सकते हैं।

-अरुण मोहन जोशी, डीआइजी


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