मिलावटखोरों से रहें सावधान, संभलकर खरीदें मिठाई
जागरण संवाददाता ऋषिकेश होली का पर्व हो और मिठाई की बात न की जाए ऐसा नहीं हो सक
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश:
होली का पर्व हो और मिठाई की बात न की जाए, ऐसा नहीं हो सकता। प्यार, प्रेम और उल्लास के त्योहार होली में विभिन्न पकवानों के साथ मिठाइयां ही रंग घोलने का काम करती हैं। मगर, मिठाइयों का सेवन जरा संभल कर ही करें। त्योहारों के मौके पर मिलावटी मिठाइयों का कारोबार भी खूब फलता-फूलता है। ऐसे में मिठाइयों की खरीद करते समय दुकानों की चमक-दमक पर कतई न जाएं बल्कि जांच-परख कर ही मिठाइयां खरीदें।
होली के मौके पर मिठाइयों की मांग अधिक बढ़ जाती है। मिठाई बेचने वाले कारोबारी भी इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकते हैं। बाजार में मुनाफे के लालच में मिलावटखेर जमकर नकली मावा, खोया और दूध से बनी मिठाईयां उतार देते हैं, जो जाने-अनजाने हम और आप के घरों तक पहुंच जाती हैं। विशेष तौर पर पर्व और त्योहारों के मौके पर कारोबारी इस तरह की मिलावट का अंजाम देते हैं। ऋषिकेश क्षेत्र में बड़ी मात्रा में दूध, पनीर, खोया और मावा की आमद पश्चिमी उत्तरप्रदेश व हरिद्वार जनपद से होती है। पूर्व में त्योहारी सीजन में नकली मावा और खोया ऋषिकेश पहुंचाए जाने के मामले सामने भी आये थे। खाद्य सुरक्षा विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद शहर में मिलावट के कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। त्योहार को देखते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग कहने को मिठाइयों की दुकानों की जांच और सैंपलिग कर चुका है। मगर, मिलावटखोरों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वह किसी न किसी तरह से अपना मिलावटी सामान बाजार में उतार ही देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप स्वयं ही जांच परख कर ही मिठाई खरीदें।
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घर पर बनी मिठाई सुरक्षित
बाजार की मिठाइयों में होने वाली मिलावट को देखते हुए अधिकांश लोग अपने घरों में ही होली के लिए मिठाइयां तैयार कर रहे हैं। गुजिया और अन्य तरह की मिठाई तैयार करने में समय भले ही लगता है मगर, इसमें शुद्धता की पूरी गारंटी होती है। यही वजह है कि लोग बाजार से कच्चा माल खरीदकर खुद घर पर ही अधिकांश मिठाइयां तैयार करने में जुटे हैं।
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रंगीन मिठाइयों में होते हैं हानिकारक रसायन
देखने में दिलकश लगने वाली मिठाइयों को खरीदने में सावधानी जरूर बरतें। क्योंकि इनके चटक चमकीले रंगों में आपके परिवार व मित्रों के लिए पोषक तत्व नहीं बल्कि हानिकारक रसायन ही मिले होते हैं। बाजार की मिठाइयों में ऐसे कई मिलावटी व सिथेटिक रंगों का इस्तेमाल होता है जो शरीर की पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके प्रभाव से पेट में गड़बड़ी, चक्कर, उल्टी, सिरदर्द, अनिद्रा, त्वचा में खुजलाहट जैसी शिकायत सामने आती हैं। लाल रंग में एरीथोरोसिन, पोनकिआ फोर आर, कारमोसिन, पीले रंग में सनसेट यलो, टारट्राइजाइन, नीले रंग में इंडीगो कारामाइन, ब्रिलिएंट ब्लू व हरे रंग में फास्ट ग्रीन एफसीएफ ही खाने योग्य है। जबकि गंधकीय पीला रंग यानी मेटानिल यलो, रोडामाइन बी, औरामाइन टी, सूडान आदि रंग अखाद्य हैं। इसलिए यदि प्राकृतिक रंगों से बनी मिठाई खरीदना ही सेहत की ²ष्टि से सुरक्षित है।
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त्योहार में मिठाइयों में मिलावट की आशंका का देखते हुए टीम लगातार जांच कर रही है। कई जगह मिठाइयों के सैंपल भरे गए हैं। दुकानदारों को मिठाई तैयार करने की तिथि व एक्सपायरी तिथि काउंटर पर डिस्प्ले करने के भी निर्देश दिये गये हैं। इसके अलावा तीन बार से ज्यादा खाद्य तेल के इस्तेमाल की भी टोटल पोलर मीटर (टीपीएम) से जांच की जा रही है।
- गणेश चंद्र कंडवाल, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, देहरादून