पछवादून में नहीं मिल पा रही बैंक एटीएम की सुविधा
विकासनगर पछवादून में लगे अधिकांश एटीएम बैंक ग्राहकों को सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। अधिकांश एटीएम या तो खराब होने या रुपये के अभाव में बंद ही रहते हैं।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: पछवादून में लगे अधिकांश एटीएम बैंक ग्राहकों को सुविधा नहीं दे पा रहे हैं। अधिकतर मशीनें या तो खराब रहती हैं या फिर कैश के अभाव में बंद कर दी जाती हैं। ऐसे समय में जब किसी को रुपयों की आवश्यकता होती है तो वह एक से दूसरे एटीएम की दौड़ लगाने को मजबूर होता है। बैंक अधिकारी एटीएम के बंद होने के पीछे तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताते हैं।, वहीं ह्युमन राइट एंड आरटीआइ एसोसिएशन का आरोप है कि कई बैंक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए एटीएम की सुविधा से ग्राहकों को वंचित रख रहे हैं।
पछवादून क्षेत्र में विभिन्न बैंकों के माध्यम से जगह-जगह एटीएम की सुविधा उपलब्ध कराई गई। सेलाकुई से लेकर विकासनगर व डाकपत्थर क्षेत्र में दर्जनों एटीएम हैं जो अलग-अलग बैंक शाखाओं से संचालित होते हैं। इनमें यदि देखा जाए तो गिनती के कुछ बैंकों को छोड़कर अन्य किसी भी बैंक के एटीएम में रुपया उपलब्ध नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ बैंक तो ऐसे भी हैं जो अपने एटीएम को सिर्फ दस से पांच बजे तक बैंक खुलने के समय तक ही खोलते हैं। पांच बजे के बाद बैंकों के साथ ही एटीएम के शटर भी गिरा दिए जाते हैं। ऐसे में बैंकों का एटीएम के जरिए सुविधा देने का दावा खोखला ही साबित हो रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक वीके जोशी व पंजाब नेशनल बैंक ढकरानी के प्रबंधक विरेंद्र राजगुरु का कहना है कि एटीएम बंद होने के पीछे तकनीकी खराबी ही जिम्मेदार होती है। यदि कोई एटीएम खराब हो जाता है तो उसको ठीक कराकर दोबारा से शुरू करा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ एटीएम प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से संचालित किए जा रहे हैं। कंपनी के माध्यम से संचालित होने वाले एटीएम की स्थिति के संबंध में बैंकों को जानकारी नहीं होती है। उधर, ह्युमन राइट एंड आरटीआई एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविद शर्मा का कहना है कि दो या तीन बैंक ही ऐसे हैं जिनके एटीएम नियमित रूप से संचालित होते हैं। अन्यथा पूरे पछवादून में एटीएम खराब रहने की समस्या गंभीर है। उनका आरोप है कि बैंक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए अधिकतर एटीएम को खराब होने का कारण बताकर बंद किए रहते हैं। उनका कहना है कि सभी बैंकों के उच्चाधिकारियों को इस समस्या पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।