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बिना फिटनेस लेन कैसे होगा केंद्र के आदेशों का अनुपालन, एक अप्रैल 2023 से प्रभावी होनी है व्यवस्था

उत्तराखंड में ओटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन अभी तक अस्तित्व में नहीं पाया है जबकि केंद्र ने अब ओटोमेटेड टेस्टिंग लेन में फिटनेस जरूरी करने का फैसला लिया है। ऐसे में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर बिना फिटनेस लेन आदेश का अनुपालन कैसे होगा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 22 Feb 2022 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 22 Feb 2022 09:10 AM (IST)
बिना फिटनेस लेन कैसे होगा केंद्र के आदेशों का अनुपालन, एक अप्रैल 2023 से प्रभावी होनी है व्यवस्था
अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाया आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में केंद्र के निर्देशों के तहत वाहनों की फिटनेस का कार्य आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन के माध्यम से कराना अभी संभव नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश में अभी तक आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन अस्तित्व में नहीं आ पाए हैं। केंद्र ने हाल ही में वाहनों की फिटनेस अनिवार्य रूप से स्वचलित परीक्षण स्टेशन (आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन) से करने के निर्देश दिए हैं। यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2023 से प्रभावी होनी है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का दावा है कि अगले वर्ष तक प्रदेश में आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन अस्तित्व में आ जाएंगे।

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केंद्र ने हाल ही में मोटर यान अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत भारी माल वाहन व यात्री वाहनों की फिटनेस एक अप्रैल, 2023 से कराने के निर्देश दिए हैं। संशोधित अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि आठ साल से पुराने व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस दो साल के लिए मान्य होगी। इससे अधिक पुराने वाहनों की फिटनेस एक साल के लिए मान्य होगी। यानी ऐसे वाहनों को हर साल फिटनेस करानी होगी।

यह फिटनेस अनिवार्य रूप से किसी अनिवार्य स्वचलित परीक्षण स्टेशन के माध्यम से की जाएगी। वहीं मध्यम माल व यात्री वाहन और हल्के मोटर वाहनों के लिए यह व्यवस्था एक जून, 2024 से लागू होगी। सभी राज्यों को इसके अनुसार व्यवस्था करने को कहा गया है। प्रदेश में नजर दौड़ाएं तो यहां वर्ष 2012 में ऋषिकेश में ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का निर्णय लिया गया था। तत्कालीन सरकार ने भी इसे मंजूरी प्रदान करते हुए इसके लिए तीन करोड़ की राशि का प्रविधान किया। हालांकि भूमि न मिलने के कारण यह कार्य अटक गया।

इस बीच केंद्र ने उत्तराखंड को टेस्टिंग लेन के लिए 16.50 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। इस पर विभाग ने हरिद्वार व हल्द्वानी में जगह चिह्नित की। प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए धनराशि जारी की। बावजूद इसके अभी तक ये टेस्टिंग लेन नहीं बन पाई हैं। उप परिवहन आयुक्त एस के सिंह का कहना है कि टेस्टिंग लेन बनाने की दिशा में काम चल रहा है। एक साल के भीतर टेस्टिंग लेन बनाने का कार्य पूरा हो जाएगा।

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