दो बजे रात तक सड़क पर बैठी रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रात दो बजे तक हाथीबड़कला सड़क पर कड़ाके की ठंड में ठिठुरती रहीं। पुलिस के मनाने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रात दो बजे बाद जैन धर्मशाला पहुंची जहां से भोर में परेड ग्राउंड धरना स्थल लौट आई। यहां रविवार दिन भर चली बैठक में संगठन ने बेमियादी अनशन की चेतावनी देते कहा कि अब वह खाली हाथ नहीं लौटेंगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रात दो बजे तक हाथीबड़कला सड़क पर कड़ाके की ठंड में ठिठुरती रहीं। पुलिस के मनाने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रात दो बजे बाद जैन धर्मशाला पहुंची, जहां से भोर में परेड ग्राउंड धरना स्थल लौट आई। यहां रविवार दिन भर चली बैठक में संगठन ने बेमियादी अनशन की चेतावनी देते कहा कि अब वह खाली हाथ नहीं लौटेंगी।
विदित हो कि शनिवार को मांगों पर कार्रवाई को लेकर बड़ी संख्या में आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सीएम आवास कूच किया था। पुलिस ने उन्हें हाथीबड़कला के समीप रोक लिया था। जिससे आक्रोशित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वहीं धरने पर बैठ गई। कड़ाके की ठंड के बावजूद जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सड़क से नहीं उठी तो रात दो बजे पुलिस ने फिर उनसे बात की। पुलिस के मनाने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जैन धर्मशाला आ गई, फिर भोर में ही परेड ग्राउंड धरना स्थल लौट आई। वहां पर आयोजित बैठक में संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि प्रदेश की मातृ शक्ति पिछले एक महीने से सड़कों पर हैं लेकिन बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार उनकी सुध नही ले रही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अगर जल्द उनका मानदेय 18 हजार रुपए नहीं करती तो वे बेमियादी अनशन को बाध्य होंगी। बैठक में संगठन की उपाध्यक्ष विमला कोहली, मीनाक्षी रावत, मीना रावत, दीपा पाडे, सरोजनी अंथवाल, गीता बिष्ट, मालती पंवार, विजय लक्ष्मी, सुनीता बड़थ्वाल आदि मौजूद थी।
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कईयों की तबीयत बिगड़ी
संगठन महामंत्री सुमति थपलियाल ने बताया कि दो बजे तक खुले आसमान में रहने से कईयों की तबीयत खराब हो गई। इसके बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। सरकार के इस अड़ियल रवैए से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में रोष है।
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सामूहिक हड़ताल का एलान
उत्तराचल आगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने सामूहिक हड़ताल का एलान किया है। प्रदेश महामंत्री सुशीला खत्री ने बताया कि संगठन लंबित मागों के लिए लंबे समय से आदोलनरत है। लेकिन प्रदेश सरकार के उदासीन बनी हुई है। सात दिसंबर को डीएम के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया था लेकिन एक माह बाद भी मागों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।