ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट को पूरा करने की है चुनौती
प्रदेश के चारों धामों में हर मौसम में निर्बाध आवाजाही के लिए प्रारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑलवेदर रोड को पूरा करने की चुनौती सरकार के सामने है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश के चारों धामों में हर मौसम में निर्बाध आवाजाही के लिए प्रारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑलवेदर रोड को पूरा करने की चुनौती सरकार के सामने है। कारण यह कि अभी इस प्रोजेक्ट के तहत लोहाघाट, पिथौरागढ़, चंपावत, जोशीमठ और ऋषिकेश में बाइपास का निर्माण रुका हुआ है। इसके अलावा ईको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत बनने वाले सड़क मार्ग पर भी काम शुरू नहीं हो पाया है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इन कार्यो को शुरू करने के लिए शीघ्र स्वीकृति मिलने की उम्मीद की जा रही है।
विषम भूगोल और पर्यावरणीय कारणों से उत्तराखंड में सड़कों के विस्तार में अड़चनें बरकरार हैं। गुजरे कुछ सालों में सड़कों के विस्तार और सुदृढ़ीकरण की दिशा में तेजी से पहल हुई है। इसकी कड़ी में वर्ष 2013 की आपदा का दंश झेल चुके उत्तराखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर, 2016 में चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की सौगात दी। इस परियोजना के तहत प्रदेश के चारधाम मार्गो में सुधार लाने के साथ ही इन्हें तकनीकी आधार पर मजबूत और सुरक्षित किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के तहत चारधाम यात्रा राजमार्ग को डबल लेन में विकसित किया जा रहा है। तकरीबन 12000 करोड़ की इस परियोजना में सड़कों पर 11000 करोड़ रुपये व्यय होंगे, जबकि बाकी राशि भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी समेत अन्य कार्यो पर खर्च होनी है। इस परियोजना में 53 कार्य स्वीकृत हैं। केंद्र सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2020 निर्धारित किया है। परियोजना के तहत अभी तक हुए कार्यो पर नजर डालें तो भूमि हस्तांतरण से संबंधित लगभग 90 फीसद कार्य हो चुका है। राज्य लोनिवि, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और सीमा सड़क संगठन सड़क निर्माण कार्य में जुटे हैं
धार्मिक, राष्ट्रीय और सामरिक महत्व
ऑल वेदर रोड परियोजना के आकार लेने पर राज्य की आर्थिकी से जुड़े चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री सड़क से जुड़ जाएंगे। इससे श्रद्धालुओं को वर्षभर आवागामन की सुविधा मिल सकेगी। राज्य के लिहाज से तो यह सड़क अहम है ही, इसका राष्ट्रीय और सामरिक महत्व भी है। प्रदेश के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चीन और तिब्बत सीमा से सटे हैं। ऐसे में इस सड़क के बन जाने पर चमोली एवं उत्तरकाशी जिलों के सीमांत क्षेत्रों तक वाहनों की आवाजाही का रास्ता आसान हो जाएगा। यही नहीं, चमोली, रुद्रप्रयाग जिलों के साथ ही राज्य की आबादी का एक बड़ा भाग चारधाम यात्रा मार्ग से जुड़ा है।
संवरेगी आर्थिकी
वर्षाकाल में राज्य में सड़कें बार-बार बाधित होती रहती हैं और चारधाम यात्रा मार्ग भी इससे अछूता नहीं है। कई बार तो ऐसी नौबत आती है कि यात्रियों को घंटों एक ही जगह मार्ग खुलने का इंतजार करना पड़ता है। आल वेदर रोड परियोजना के तहत चारधाम यात्रा मार्ग के सुदृढ़ीकरण से यह दिक्कत दूर हो जाएगी। सालभर यात्रा तो संचालित होगी ही, स्थानीय लोगों को भी राहत मिलने के साथ ही उन्हें वर्षभर रोजगार भी मिल सकेगा। साथ ही चारधाम यात्रा मार्ग से जुड़े क्षेत्रों की आर्थिकी तो संवरेगी ही, यात्रा मार्ग के अंतर्गत जनपदों में ट्रैफिक का भार कम होगा। साथ ही भीतर के संपर्क मार्गाें को दुरुस्त करने पर सरकार अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगी।
ऑलवेदर मार्ग के लिए पेड़ों की बलि
ऑलवेदर मार्ग बनाने के लिए पचास हजार से अधिक पेड़ काटे गए हैं। इससे पर्यावरण असंतुलन की आशंका बलवती हुई थी। हालांकि, सरकार ने क्षतिपूरक वनीकरण के जरिये ऐसी किसी आशंका से खारिज किया है। इसके तहत हर काटे गए एक पेड़ के सापेक्ष दस पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों के साथ ही अन्य राज्यों में क्षतिपूरक वनीकरण के लिए जगह तलाशी जा रही है। इसके अलावा कई गांव भी इस परियोजना की चपेट में आए, जिन्हें सरकार ने उचित मुआवजा भी दिया है। परियोजना पर एक नजर
लागत :- तकरीबन 12000 करोड़ रुपये
ये होंगे काम:- 25 बड़े पुल, 132 छोटे पुल, 13 बाइपास, तीन फ्लाई ओवर, दो सुरंग। तीर्थ यात्रियों के लिए 28 सुविधा केंद्र, राजमार्ग पर बनेंगे 115 बस स्टैंड व नौ ट्रक स्टेंड, 38 स्थानों पर बनेंगे लैंड स्लाइड जोन।
कहा से कहा तक कितनी सड़क
ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग- 140 किमी
रुद्रप्रयाग से माणा- 160 किमी
ऋषिकेश से धरासू-144 किमी
धरासू से गंगोत्री-124 किमी
धरासू से यमुनोत्री- 95 किमी
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड- 76 किमी
टनकपुर से पिथौरागढ़-150 किमी
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