उत्तराखंड में ऊर्जा के तीनों निगमों का होगा स्पेशल ऑडिट, जानिए वजह
चालू वित्तीय वर्ष में ऊर्जा महकमा राजस्व के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में छह फीसद भी नहीं जुटा सका है। ऐसे में ऊर्जा के तीनों निगमों का स्पेशल ऑडिट कराया जाएगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार की तमाम हिदायतों के बावजूद ऊर्जा महकमा राजस्व जुटाने में लापरवाह बना हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में छह फीसद भी जुटाया नहीं जा सका है। कर वसूली के कोषागार के आंकड़े बेहद निराश करने वाले हैं। ऐसे में ऊर्जा के तीनों निगमों ऊर्जा निगम, जलव्रिद्युत निगम और पारेषण निगम का स्पेशल ऑडिट कराया जाएगा।
दरअसल, सरकार कर संसाधनों की कमी से जूझ रही है। इसमें सबसे दयनीय स्थिति ऊर्जा महकमे की सामने आई है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में बीते दिसंबर माह में राज्य के संसाधन बढ़ाने के संबंध में हुई बैठक में चौंकाने वाला तथ्य सामने आ चुका है।
बताया गया कि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में ऊर्जा विभाग के लिए कर राजस्व मद में 440 करोड़ और करेत्तर राजस्व मद में 440 करोड़ राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया है। कोषागार से मिले आंकड़ों ने सरकार के माथे पर तब बल डाल दिए, जब यह पता चला कि कर राजस्व मद में सिर्फ 23.08 करोड़ ही ऊर्जा महकमे ने जुटाए हैं। यह कर राजस्व का छह फीसद से कम है। करेत्तर राजस्व में तो कोई प्राप्ति दर्ज ही नहीं हुई है।
मुख्य सचिव ने ऊर्जा के तीनों निगमों का स्पेशल ऑडिट कराने के आदेश दिए हैं। अब वित्त ऑडिट सेल उक्त स्पेशल ऑडिट करेगा। यह भी तय किया या कि आगामी एक अप्रैल, 2020 से ऊर्जा विभाग की प्राप्तियों में से राज्य सरकार को देय धनराशि एस्क्रो अकाउंट के माध्यम से राजकोष में जमा कराई जाएगी।
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इस कार्य में ऑडिट सेल और कोषागार निदेशक परस्पर सहयोग करेंगे। वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि सिंचाई और पेयजल विभाग के पास ऊर्जा विभाग की अवशेष देनदारियों के संबंध में उक्त विभाग जल्द वित्त विभाग को सूचना उपलब्ध कराएंगे।
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